मुजफ्फरनगर। पश्चिम यूपी की राजनीति में राणा परिवार अपनी मौजूदगी का अहसास कराता रहा है। लेकिन मुजफ्फरनगर दंगे के बाद सियासी ट्रेन बेपटरी हो गई। आखिरी बार पूर्व सांसद कादिर राणा के छोटे भाई नूरसलीम राणा चरथावल से 2012 में विधायक चुने गए थे। इसके बाद परिवार को कामयाबी नहीं मिल सकी। राजनीति में वापसी के लिए अब सुम्बुल पर दांव चला है।
सुजडू गांव के रहने वाले कादिर राणा ने सभासद पद से राजनीति की शुरूआत की थी। साल 1993 में पहला विधानसभा चुनाव हाए गए। इसके बाद वह एमएलसी चुने गए। साल 2007 में मोरना से विधायक रहे। इसके बाद साल 2009 में बसपा के टिकट पर मुजफ्फरनगर से सांसद चुन लिए गए थे। उनके भाई नूर सलीम राणा साल 2012 में चरथावल से विधायक चुने गए। उनके भतीजे शाहनवाज राणा बसपा के टिकट पर बिजनौर से सांसद रहे। पूर्व विधायक शाहनवाज राणा की पत्नी तब्बसुम बेगम जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं।