मुजफ्फरनगर: 2024 का लोकसभा चुनाव भाजपा प्रत्याशी के लिए एक कड़ा इम्तिहान होगा, क्योंकि 2013 के दंगों के बाद हुए 2014 के चुनाव में जहां भाजपा प्रत्याशी संजीव बालियान ने सभी रिकॉर्ड ध्वस्त करते हुए बड़े अंतर से जीत हासिल की थी, वहीं 2019 में वह अपनी सीट बामुश्किल बचा पाये थे और रालोद के अजित सिंह से लगभग छह हजार के अंतर से ही जीत पाये थे। ऐसे में देखना यह होगा कि 2024 के चुनाव में वह अपना कितना प्रभाव दिखा पायेंगे। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के लिए यह सकारात्मक पहलू होगा कि जिस रालोद के अजित सिंह ने उन्हें पसीने दिलाये थे, वह इस बार भाजपा के साथ गठबंधन में है।

मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट की गिनती यूपी की हॉट सीट के रूप में होती है, क्योंकि यहां पर चुनाव काफी दिलचस्प होता है। यह सीट जब से वजूद में आई है, तब से इस सीट को किसी एक पार्टी की बपौती नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यहां के वोटर्स का समय-समय पर मिजाज बदलता रहा है। इस सीट पर कमोबेश सभी पार्टियों के सांसद बन चुके हैं। पिछले दो चुनाव से इस सीट पर भाजपा के डा. संजीव बालियान का कब्जा है और वह तीसरी बार भी चुनाव मैदान में है। इस लोकसभा सीट में पांच सीटें आती हैं, जिनमें बुढ़ाना, चरथावल, मुजफ्फरनगर, खतौली, सरधना सीट आती हैं। यह सीट 2013 दंगे के बाद से उत्तर प्रदेश की मुख्य सीटों में गिनी जाती है, क्योंकि 2013 दंगे के बाद 2014 में जो लोकसभा के चुनाव हुए थे उसमें भारतीय जनता पार्टी ने सभी पार्टियों का एक तरफ सुपड़ा साफ कर दिया था। भाजपा के प्रत्याशी डा. संजीव बालियान ने इस चुनाव में रिकार्ड मत हासिल किये थे।

संजीव बालियान ने इस सीट पर करीब 60 फीसदी वोट हासिल किए थे, जबकि उनके प्रतिद्वंदी और बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार कादिर राणा को सिर्फ 22 फीसदी वोट ही हासिल हुए थे। संजीव बालियान ने कादिर राणा को करीब 4 लाख वोटों से हराया था। संजीव बालियान को कुल 653391 मत हासिल हुए थे, जबकि कादिर राणा को केवल 252241 वोट ही मिल पाये थे।

बता दें कि कादिर राणा 2009 में रालोद की अनुराधा चौधरी को हराकर सांसद बने थे, जबकि वह 2013 में संजीव बालियान से भारी मतों से हार गये थे। 2014 के चुनाव में जो डा. संजीव बालियान चार लाख वोटों से विजयी हुए थे, वो 2019 में अपनी सीट बड़ी मुश्किल से बचा पाये थे। पांच सालों में हार का अंतर इतना कम हुआ था कि एक बार तो लोगों को लगने लगा था कि संजीव बालियान यह सीट नहीं बचा पायेंगे, परन्तु आखिरी समय में वह इस सीट को जीतने में कामयाब हो गये थे। 2019 के चुनाव में डा. संजीव बालियान का मुकाबला रालोद के चौधरी अजित सिंह के साथ हुआ था। इस चुनाव में डॉ.संजीव बालियान को 5,73,780 वोट मिले थे जबकि स्वर्गीय अजीत सिंह को 5,67,254 वोट मिल पाए थे और संजीव बालियान 6,526 वोटों से जीत गये थे। जीत का अंतर चार लाख से सीधे 6525 वोटों पर पहुंच गया था। तीसरी बार फिर 2024 में डा. संजीव बालियान भाजपा से चुनावी मैदान में हैं, परन्तु इस बार उनका मुकाबला इण्डिया गठबंधन के प्रत्याशी हरेन्द्र मलिक से माना जा रहा है।

2019 में डा. संजीव बालियान रालोद के जिस अजित सिंह से हारे थे, वह रालोद अब एनडीए के साथ गठबंधन में है। अब देखना यह होगा कि क्या डा. संजीव बालियान को रालोद के गठबंधन का लाभ मिल पायेगा। बता दें कि रालोद के टिकट पर जब अजित सिंह चुनाव लड़े थे, उस समय रालोद का सपा व कांग्रेस के साथ गठबंधन था। अजित सिंह को मुस्लिम वोटों के अलावा जाट वोट व पिछड़ों के भी वोट पड़े थे। इसके अलावा बसपा द्वारा पिछड़े वर्ग का प्रत्याशी मैदान में उतारे जाने के कारण पिछड़ों में भी ध्रवीकरण हो सकता है, ऐसे में डा. संजीव बालियान को चुनाव मैदान में जमकर मशक्कत करनी पड़ेगी।