मुजफ्फरनगर। भाजपा और रालोद के बीच गठबंधन को लेकर लखनऊ और दिल्ली तक खूब सियासी डुगडुगी बजी। बयान आए और चर्चाएं भी हुईं। कभी सीट की बात हुई तो कभी मंत्रालय की, लेकिन आधिकारिक घोषणा नहीं की गई। गठबंधन तय माना जा रहा है, लेकिन पर्दा उठना बाकी है।
सपा से सीटों और प्रत्याशियों को लेकर हुए सियासी मतभेद के बाद राजनीतिक परिदृश्य में भाजपा की एंट्री हुई। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में रालोद के शामिल होने की चर्चाएं शुरू हो गई। रालोद अध्यक्ष जयंत सिंह ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से बात की है। नए गठबंधन की संभावनाओं को उन्होंने खारिज नहीं किया। बताया जा रहा है कि दिल्ली में बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह के साथ भी उनकी मुलाकात हुई है। रालोद के रणनीतिकार खुद असमंजस की स्थिति में नजर आए। हालांकि शाम होते-होते सोशल मीडिया पर भाजपा से गठबंधन को सही फैसला भी बताया गया। यह भी चर्चा शुरू हो गई है कि बृहस्पतिवार को विधिवत गठबंधन का एलान हो सकता है।
भाजपा के साथ गठबंधन में रालोद की बातचीत के सूत्रधार बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और जदयू नेता केसी त्यागी को माना जा रहा है। सीएम नीतिश कुमार की गिनती पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के करीबियों में होती है।
दिल्ली में भाजपा और रालोद के बीच गठबंधन की बात चल रही है। इस दौरान राजनीतिक समीकरण भी तेजी के साथ बदल रहे हैं। बिजनौर लोकसभा सीट रालोद के हिस्से में जाने से भाजपा से टिकट के दावेदारों को जोर का झटका लग सकता है। बागपत सीट भी अगर रालोद को मिली तो यहां से सांसद पूर्व मंत्री सत्यपाल सिंह को गाजियाबाद सीट से चुनाव लड़ाए जाने की संभावना है। मथुरा से हालांकि इस बार हेमा मालिनी के चुनाव लड़ने की संभावना नहीं है। यह सीट भी रालोद को मिल सकती है। भाजपा, सपा, रालोद से टिकट के दावेदार भी असमंजस में फंस गए हैं।
गठबंधन को लेकर बातचीत जारी है। रालोद नेताओं को कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं। यही वजह है कि रालोद नेता भी दिल्ली से आने वाली आधिकारिक सूचना का इंतजार दिनभर करते रहे।