मुजफ्फरनगर। चार दिनों से जनपद में बारिश का दौर लगातार बना हुआ है। तीन दिनों की कभी रिमझिम और कभी तेज बारिश ने जन जीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया। रविवार की अलसुबह भी मौसम में नरमाहट बनी रही और मूसलाधार बारिश ने शहर को जलमग्न करने के साथ ही पूरे जिले में पानी ही पानी कर दिया। खेत खलिहानों के साथ ही गांव और बस्ती डूबते नजर आये तो वहीं शहर का हृदय स्थल शिव चौक पूरी तरह से तालाब में परिवर्तित हो गया था। इसके आसपास की मार्किट और सड़के भी जलभराव के कारण नदी समान प्रतीत हो रही थी, तो शहर की सभी पॉश कालोनियों में भी बारिश का पानी मकानों तक घुसने के कारण लोगों को परेशानी उठानी पड़ी और मलिन बस्तियों व निचले इलाकों तो हाल बेहाल नजर आया। बारिश के कारण साफ सफाई का दौर भी प्रभावित होने से शहर में कई स्थानों पर गन्दगी नजर आई।
रविवार सुबह हुई शहर में मूसलाधार बारिश से शहर में चारों ओर पानी ही पानी भर गया। पानी भरने और मूसलाधार बारिश के कारण जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। बारिश शनिवार-रविवार की देर रात्रि करीब एक बजे शुरू हो गयी थी, लेकिन रविवार को सुबह तड़के मूसलाधार बारिश हुई।
तेज बारिश के कारण शहर के शिव चौक, पान मंडी, रुड़की रोड, नावल्टी चौराहा, एसडी मार्किट रोड, अंसारी रोड, कोर्ट रोड, टाउन हाल रोड, गांधी कालोनी, लिंक रोड, आदर्श कालोनी, नई मंडी, अलमासपुर रोड, मोहल्ला गऊशाला, कृष्णापुरी, प्रेमपुरी, रामपुरी, लद्दावाला, खालापार, किदवईनगर, जनकपुरी, एकता विहार आदि शहर के अनेक इलाकों में जगह जगह पानी भर गया, जिससे राहगीरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। शहर के शिव चौक पर तो नदी जैसा नजारा था।
गोल मार्किट पूरी तरह से जलमग्न नजर आई और पानी चबूतरा पार करते हुए दुकानों तक जा घुसा था। मूसलाधार बारिश थमने के बाद बाजार भी देर से खुले और दुकानदारों तथा व्यापारियों को अपनी अपनी दुकानों तक पहुंचे पानी को निकालने के साथ ही बारिश के पानी के साथ नालों व नालियों से निकली सिल्ट को हटाने के लिए घंटों तक मशक्कत करनी पड़ी। अत्यधिक बारिश के कारण खेतों में खड़ी गन्ने व धान की फसल को काफी नुकसान होने की संभावना बनी है, जिस कारण किसानों की चिंता अधिक बढ़ गयी है।
पिछले चार दिन से लगातार हो रही बारिश के कारण कच्चे मकानों में रहने वालों को मकान गिरने का डर सता रहा है। कई मकान जिले में गिरने के साथ ही एक व्यक्ति की मौत इस बारिश में हो चुकी है। निचले इलाकों में कई मकान जलभराव के कारण खतरे की चपेट में भी आ चुके हैं।