मुज़फ्फरनगर: रालोद के अध्यक्ष चौधरी जयंत को सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव सियासी टेंशन देने की तैयारी में है। इस सीट पर जयंत के सजातीय जाट को कैंडिडेट बनने की रणनीति सपा की बताई जा रही है। ऐसे ही आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर के चुनावी मैदान में अपने प्रत्याशी उतारने से जहां बसपा के वोट बैंक सेंध तय है। वहीं मुस्लिम कैंडिडेट के ऐलान से सपा को भी परेशान करने करेगा।
उपचुनाव में मीरापुर विधानसभा सीट पर होगा खेला? जयंत को अखिलेश, जबकि मायावती को चंद्रशेखर देंगे टेंशन!
शादाब रिज़वी, मुजफ्फरनगर: यूपी की दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव प्रस्तावित हैँ। उनमें से एक वेस्ट यूपी की मीरापुर विधानसभा सीट है। यहां राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी जयंत को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव सियासी टेंशन देने की तैयारी में है। इस सीट पर जयंत के सजातीय जाट को कैंडिडेट बनने की रणनीति सपा की बताई जा रही है। ऐसे ही आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर के चुनावी मैदान में अपने प्रत्याशी उतारने से जहां बसपा के वोट बैंक सेंध तय है। वहीं मुस्लिम कैंडिडेट के ऐलान से सपा को भी परेशान करने करेगा। जबकि भाजपा और रालोद गठबंधन को सपा बसपा आसपा के बीच बन रहे संभावित समीकरण से सियासी लाभ मिलना तय माना जा रहा है।
दरअसल, वेस्ट यूपी की किसान बेल्ट वाली मीरापुर विधानसभा सीट जिला मुजफ्फरनगर में आती है लेकिन बिजनौर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। उपचुनाव का अभी ऐलान नहीं हुआ हैं। लेकिन सियासी दल तैयारी में जुटे हैं। बहुजन समाज पार्टी और आजाद समाज पार्टी दोनों ने मुस्लिम को प्रत्याशी बनाया है। यह सीट 2022 में सपा रालोद गठबंधन में रालोद ने जीती थी। लेकिन अब रालोद की सियासी दोस्ती बीजेपी से है। मीरापुर से रालोद विधायक चंदन चौहान बिजनौर सीट से सांसद बन चुके हैं। बीजेपी और रालोद गठबंधन में भी यह सीट रालोद के हिस्से में आना तय हैं।
रालोद के सूत्रों पर भरोसा करें तो वह इस सीट से अति पिछड़े समाज या मुस्लिम को चुनाव लड़ना चाहती है। लेकिन बसपा और आसपा के मुस्लिम कैंडिडेट आने से रालोद उलझन में हैं। ऐसे में सपा मुखिया अखिलेश यादव, रालोद अध्य़क्ष जयंत के सजातीय जाट को कैंडिडेट बनाकर जाट मुस्लिम समीकरण को साध सकते हैं। सपा नेताओं की माने तो ऐसा कर अखिलेश सपा और जाटों के बीच 2013 की मुजफ्फरनगर हिंसा से पैदा हुई खाई पाटने की कोशिश कर सकते हैं।
दरअसल, जाट और मुसलमान का एका यहां जीत की गारंटी के तौर पर देखा जाता है। 2022 में रालोद-सपा में गठबंधन से यहां जाट और मुसलमान फिर एक मंच पर आने लगे थे। रालोद के बीजेपी संग जाने मुस्लिम रालोद से नाराजगी जता रहा हैं। कई मुस्लिम नेताओं स रालोद का साथ भी छोड़ दिया हैँ। इसलिए अखिलेश जाट मुस्लिम समीकरण को मजबूत करने के लिए जाट कैंडिडेट उतारने की रणनीति अपना सकते हैं। मुस्लिम सपा के नजदीकी माने जाते हैं।
सपा ने 2022 में चरथावल विधानसभा सीट पर जाट समाज के पंकज मलिक को इसी समीकरण से विधायक का चुनाव जिताया। 2024 में जाट साज के हरेंद्र मलिक को मुजफ्फरनगर से इसी समीकरण से सांसद बनाया। कैराना लोकसभा सीट पर भी सपा प्रत्याशी इकरा हसन को जाटों की वोट मिली। तो वह जीत गई। मीरापुर सीट पर पहले नंबर पर मुस्लिम, दूसरे पर दलित और तीसरे पर जाट वोटर हैं।
मीरापुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने मुस्लिम जाहिद हुसैन को विधानसभा प्रभारी (प्रत्याशी)घोषित किया है। आसपा की कोशिश दलित मुस्लिम गठजोड़ की हैं। आसपा अध्यक्ष चंद्रशेखर के इस दाव से बसपा सुप्रीमो मायावती का बैचेन होना तय हैं। बसपा ने भी इस सीट पर दलित मुस्लिम समीकरण बनाने की रणनीति अपनाई हैं।
बसपा ने भी अपना कैंडिडेट मुस्लिम शाह नजर को बनाया हैं। सियासी जानकारों की माने आसपा और बसपा एक दूसरे को सियासी नुकसान पहुंचाएगी। फिलहाल लोकसभा चुनाव में बसपा अच्छा प्रदर्शन वेस्ट यूपी में नहीं कर पाई जबकि आसपा के अध्यक्ष चंद्रशेखर खुद एमपी बने और कई सीट पर अच्छी वोट उनके कैंडिडेट ने हासिल की।
गठबंधन सपा से लेकिन अपनी तैयारी भी कर रही कांग्रेस यूं तो सपा और कांग्रेस में चुनावी लोकसभा चुनाव में हुआ गठबंधन उपचुनाव में भी रहने का दावा दोनों दलों का हैं। मीरापुर सीट पर सपा का दावा है। लेकिन कांग्रेस ने भी मजबूत दावेदारों की खोज शुरू कर दी है। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सुबोध शर्मा कह चुके है कि गठबंधन में अभी तक उपचुनाव वाली सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है। सपा की ओर से कांग्रेस को गाजियाबाद और खैर सीट दिए जाने की चर्चा थी। लेकिन कांग्रेस के रणनीतिकार मीरापुर सीट पर भी दावा कर रहे हैं।