मुजफ्फरनगर। यूपी और उत्तराखंड में युवाओं को फर्जी प्रमाण पत्र बेचने के आरोपी इमलाख खान की मुश्किलें बढ़ गई है। पिछले साल दो मामलों में मजिस्ट्रेट कोर्ट से दोषमुक्त किए जाने के फैसले पर अपर सत्र न्यायालय ने रोक लगा दी है। अभियोजन ने तर्क दिया था कि साक्ष्य के लिए पर्याप्त समय दिए बिना और गवाहों को तलब करने के लिए समुचित प्रक्रिया अपनाए बिना दोनों मुकदमों को समाप्त कर दिया गया है। अगली सुनवाई 10 फरवरी को होगी।

सिविल लाइन एसओ बलजीत सिंह ने 20 दिसंबर 2008 और तत्कालीन डीआईओएस भीम सिंह ने 14 दिसंबर 2010 को शेरपुर निवासी इमलाख खान के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471 में दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज कराए थे। पुलिस ने जांच के बाद आरोप पत्र दाखिल किए। दोनों की सुनवाई अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट संख्या-दो में हुई। एक मुकदमे मेंं आरोपी को 16 अप्रैल 2022 और दूसरे में 30 अप्रैल 2022 को इमलाख और उसके एक साथी को अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त करार दिया था।

विशेष लोक अभियोजक अरुण शर्मा ने बताया कि अभियोजन ने पर्याप्त समय नहीं दिए जाने के कारण जिला एवं सत्र न्यायालय में रिवीजन दाखिल किया। प्रकरण की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायालय कोर्ट संख्या तीन के पीठासीन अधिकारी गोपाल उपाध्याय ने की। उन्होंने रिवीजन मंजूर कर लिया है और निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी है।

थाना सिविल लाइन के तत्कालीन एसओ बलजीत सिंह ने 20 दिसंबर 2008 को सूचना मिली थी कि रूड़की रोड पर बाबा कोचिंग सेंटर पर यूपी और अन्य बोर्ड की फर्जी मार्कशीट, मुहर से जालसाजी की जा रही है। पुलिस ने छापा मारा तो मौके से 28 मुहर, अधिकारियों के लेटर पेड, फर्जी प्रमाण पत्र बरामद हुए थे। पुलिस ने इमलाख खान और शहजाद के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। इस मुकदमे में आरोपियों को 30 अप्रैल 2022 को दोषमुक्त करार दिया गया था।

तत्कालीन डीआईओएस भीम सिंह ने थाना सिविल लाइन में 14 दिसंबर 2010 को आरोपी इमलाख के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। नगर मजिस्टे्रट के निर्देश पर जांच की गई तो पता चला कि आरोपी बाबा कोचिंग सेंटर का संचालक आरोपी 10 हजार रुपये लेकर प्रमाण पत्र बांटता था। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोप पत्र दाखिल किया। मजिस्ट्रेट न्यायालय से आरोपी को 16 अप्रैल 2022 को दोषमुक्त करार दिया गया था।

आरोपी इमलाख अपने भाई के साथ पिछले दिनों ही मेडिकल की फर्जी डिग्री बेचने के मामले में उत्तराखंड में एसटीएफ के शिकंजे में फंस गया था। करीब दस साल से रजिस्ट्रेशन कराकर डॉक्टरों की प्रैक्टिस कराई जा रही थी। इमलाख की संपत्तियों की जांच देहरादून पुलिस भी कर रही है। देहरादून में पकड़े गए चार फर्जी डॉक्टरों का आरोपी इमलाख ने भारतीय चिकित्सा परिषद देहरादून में रजिस्ट्रेशन भी करा दिया था। शिकायत के बाद यह रजिस्ट्रेशन रद्द हो गया था।