ड्रग इंस्पेक्टर वैभव बब्बर के मुताबिक, प्रथम दृष्टया इंजेक्शन नकली लग रहे हैं। इंजेक्शनों का सैंपल लेकर जांच के लिए लैब भेजा जा रहा है। वहां से रिपोर्ट आने पर ही पता चलेगा कि इंजेक्शन असली हैं या नहीं। बाकी इंजेक्शन और गाड़ी को सीज कर दिया गया है। एक इंजेक्शन की एमआरपी 54 सौ रुपये है। आरोपियों के खिलाफ औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम 1940 की धारा 18/27 एवं आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया गया है।

पकड़े गए आरोपियों ने पुलिस की कहानी को पूरी तरह मनगढ़ंत करार दिया है। बताया कि उन्हें शामली से गिरफ्तार किया गया है। इंजेक्शन स्विफ्ट गाड़ी में थे। स्विफ्ट गाड़ी और उसके चालक को छोड़ दिया गया। बाद में उनकी एक्सयूवी 500 गाड़ी को पुलिस ने घटना में शामिल कर लिया।

मनमोहन का आरोप था कि इंजेक्शन बिशन के पास से बरामद हुए हैं। उनका इंजेक्शन से कुछ लेना देना नहीं था। उन्हें और उनके बेटों को मामले में फंसाया जा रहा है। जबकि बिशन का कहना था कि विशाल ने ही उन्हें इंजेक्शन उपलब्ध कराए थे।

वह मास्क, सैनिटाइजर व अन्य सामान्य दवाओं की ट्रेडिंग करता था। विशाल ने ही पहले मास्क और सैनिटाइजर की ट्रेडिंग के लिए बात की थी। बाद में वह रेमडेसिविर इंजेक्शन की खरीद-फरोख्त करने में लग गया।