नई दिल्ली. एक साल भले ही बीत गया. लेकिन, टीम इंडिया के लिए कुछ नहीं बदला. नॉकआउट में हार का जो रिकॉर्ड भारतीय टीम के साथ जुड़ा था. वो ऑस्ट्रेलिया में खेले जा रहे टी20 वर्ल्ड कप में भी बरकरार रहा. टीम एक बार फिर नॉकआउट मुकाबले में चूक गई. इंग्लैंड के हाथों ऐसी हार का सामना करना पड़ा, जो फैंस तो क्या शायद उस हार का हिस्सा रहे खिलाड़ी भी शायद ही हजम कर पाए. वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल के लिहाज से 169 रन का स्कोर कम नहीं होता है. लेकिन, टीम इंडिया इस टारगेट का बचाव तो दूर, इंग्लैंड को लक्ष्य का पीछा करते हुए एक बार भी दबाव में नहीं ला पाई और इंग्लैंड ने बड़ी आसानी से 10 विकेट से मैच जीत लिया. एक साल के सारे प्रयोग, धरे के घरे रह गए और टीम इंडिया का 15 साल बाद टी20 विश्व कप का खिताब जीतने का सपना चकनाचूर हो गया.
अगला टी20 वर्ल्ड कप दो साल बाद वेस्टइंडीज और अमेरिका में खेला जाएगा. इस विश्व कप में भारत के पास फिर से खिताब जीतने का मौका होगा. लेकिन, यह इतना आसान नहीं है. जिस तेजी से टी20 फॉर्मेट बदल रहा है. नई टीमें शानदार क्रिकेट खेल रही हैं. उसे देखते हुए भारत को बदलते फॉर्मेट के लिहाज से टीम में बदलाव करने होंगे. फिर चाहें बात गेंदबाजी की हो, बल्लेबाजी की या फील्डिंग.
चैम्पियन बनने के लिए सोच पूरी तरह बदलनी होगी. आखिर टीम इंडिया को चैम्पियन बनने के लिए क्या बदलाव करने होंगे? कैसे दूसरी बार भारत टी20 का वर्ल्ड चैम्पियन बनेगा? क्या रोहित शर्मा,विराट कोहली जैसे खिलाड़ियों से इतर युवाओं को टी20 फॉर्मेट में मौका देने का वक्त आ गया है? आइए इसे समझते हैं.
टीम इंडिया को टी20 का चैम्पियन बनने के लिए सबसे पहला बदलाव टॉप ऑर्डर में करना होगा. क्रिकेट के पूर्व दिग्गज भी इसी बात की तरफ इशारा कर रहे हैं. इस टी20 विश्व कप में भारत के टॉप ऑर्डर में किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ. सभी मुकाबलों में रोहित शर्मा और केएल राहुल की जोड़ी ने ओपनिंग की. तीन नंबर पर विराट कोहली खेलने उतरे. यानी एक तय रणनीति और बैटिंग लाइनअप के तहत भारत पूरा टूर्नामेंट खेला.
टॉप थ्री के बैटिंग ऑर्डर में किसी तरह का बदलाव नहीं देखने को मिला. इसी वजह से दूसरी टीमें भारत के खिलाफ बेहतर ऱणनीति बना पाईं हैं. किसी भी मैच में रोहित-राहुल की जोड़ी 50 से अधिक रन की साझेदारी नहीं कर पाई और न ही उस अल्ट्रा एग्रेसिव एप्रोच के साथ बल्लेबाजी की, जिसका जिक्र बीते 1 साल से कोच राहुल द्रविड़ और खुद कप्तान कर रहे थे. नतीजा सबके सामने है.
इसमें से एक ऋषभ पंत और दूसरे ईशान किशन हैं. पंत टी20 फॉर्मेट में भले ही उतने सफल नहीं हुए हैं. लेकिन, उनकी बल्लेबाजी का स्टाइल काफी हद तक सूर्यकुमार से मेल खाता है. वो नई शॉट्स खेलने का हुनर और हिम्मत दोनों रखते हैं. पावरप्ले में वो तेजी से रन बना सकते हैं. सबसे बड़ी बात है कि वो बेखौफ खेलते हैं. इसके फायदे और नुकसान दोनों हैं. लेकिन, टी20 फॉर्मेट को देखते हुए पंत को टॉप ऑर्डर में मौका देना फायदे का सौदा साबित हो सकता है.
भारत के पास उमरान मलिक के रूप में 150 किमी प्रति घंटे से ज्यादा की रफ्तार से गेंद फेंकने वाला गेंदबाज था. लेकिन, उमरान को इसलिए मौका नहीं दिया गया. क्योंकि उन्हें तैयार नहीं माना गया. अब 2024 के टी20 विश्व कप से पहले भारत के पास उमरान जैसे तेज गेंदबाजों की नई पौध को तैयार करने का मौका है.
ऐसे में बीसीसीआई को भी युवा खिलाड़ियों को आईपीएल की परवाह किए बगैर विदेशी टी20 लीग में खेलने की इजाजत देनी चाहिए. कम से कम उन खिलाड़ियों को तो जरूर, जो बोर्ड के सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट में नहीं हैं. इससे, भारत के पास भी अलग-अलग कंडीशंस में खेलने वाले खिलाड़ियों का एक टैलेंट पूल तैयार होगा.
वैसे भी, भारतीय क्रिकेटर इंग्लैंड में काउंटी क्रिकेट खेलने जाते ही हैं. ताजा उदाहरण चेतेश्वर पुजारा हैं. जिन्हें आउट ऑफ फॉर्म होने के कारण भारतीय टीम से बाहर होना पड़ा था. इसके बाद उन्होंने इंग्लैंड का रुख किया और वहां काउंटी क्रिकेट में धमाकेदार प्रदर्शन किया. सिर्फ टेस्ट फॉर्मेट में ही नहीं, बल्कि वनडे में भी. ऐसे में अगर बीसीसीआई 2024 के टी20 विश्व कप से पहले युवा खिलाड़ियों को सीपीएल में खेलने की मंजूरी देती है तो न सिर्फ युवा खिलाड़ियों को एक्सपोजर मिलेगा, बल्कि टी20 फॉर्मेट के लिहाज से भारत के पास भी अच्छे खिलाड़ियों की एक फौज रहेगी.
2024 के टी20 विश्व कप के लिए भारतीय टॉप ऑर्डर में बदलाव सबसे ज्यादा जरूरी है. ऐसे खिलाड़ियों की जरूरत है, जो इस प्रोफाइल में फिट हो सकें और जो बिल्कुल बेखौफ बल्लेबाजी करते हों. इसके लिए सूर्यकुमार यादव जैसे बल्लेबाजों की जरूरत है. जि्न्हें अपनी बल्लेबाजी और शॉट सेलेक्शन पर पक्का यकीन है. हालांकि, वो मिडिल ऑर्डर में खेलते हैं. लेकिन, भारत के पास सूर्यकुमार जैसे कई खिलाड़ी हैं, जो टॉप ऑर्डर में आकर खेल बदलने का हुनर रखते हैं.