मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर की एक अदालत ने साक्ष्य के अभाव में पुलिस पर कातिलाना हमले के आरोपित सोनू गडरिये को बरी कर दिया। मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियोजन के गवाहों के विरोधाभासी बयानों का लाभ आरोपित को मिला। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या-1 जय सिंह पुंडीर ने आरोपित को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
पुलिस पर फायरिंग का था आरोप
अभियोजन के अनुसार थाना चरथावल के एसआइ योगेन्द्र सिंह को सूचना मिली थी कि रोहाना रोड अलावलपुर मोड़ पर कुछ बदमाश बड़ी वारदात करने के इरादे से आ रहे हैं। थाना चरथावल पुलिस ने 8 जुलाई 2014 को बताए स्थान के आसपास चेकिंग शुरू की। बताया कि दिन छिपने से पहले ही 2 संदिग्ध बाइक पर आते नजर आए। रुकने का इशारा किया तो पीछे बैठे बाइक सवार ने फायर करते हुए पुलिस पर कातिलाना हमला किया। लेकिन पुलिस कर्मी बाल-बाल बच गए।
हथियारों सहित दबोचे 2 बदामश
पुलिस के अनुसार मुठभेड़ के बाद पुलिस ने सोनू गडरिया पुत्र जनेश्वर सिंह निवासी गांव ताना थाना गढ़ी पुख्ता जनपद शामली एवं गौतम पुत्र आजाद निवासी गांव लिलौन को गिरफ्तार कर लिया था। सोनू गडरिया के पास से एक तमंचा व कारतूस तथा गौतम के पास से एक छुरी बरामद की थी।
कोर्ट में साबित नहीं हो पाई घटना
बचाव पक्ष के अधिवक्ता उदयपाल प्रजापति ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने उनके मुवक्किल सोनू गडरिये के विरुद्ध कोर्ट में 11 जुलाई को 2014 को चार्जशीट दाखिल की थी। बताया कि अभियोजन की गवाही के दौरान एसआइ योगेन्द्र ने आरोपित सोनू गडरिया पर 40 फिट तथा एसआइ कुंवरपाल ने 15 फिट दूरी से पुलिस पर फायरिंग करने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि सभी पुलिस कर्मी एक साथ थे लेकिन घटना झूठी बयान की गई इसलिए विरोधाभासी बयान दिये गए। उन्होंने बताया कि कोर्ट में प्रति परीक्षा के दौरान एसआइ हरिराज ने मुकदमे की विवेचना करना स्वीकारा जबकि एसआइ व मौके के गवाह कुंवरपाल ने कहा कि विवेचना गजराज सिंह ने की थी।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता कुंवरपाल प्रजापति ने बताया कि अभियुक्त को नियमानुसार फर्द मुकदमा मुहैया नहीं कराई गई थी, जिसे उन्होंने कोर्ट में साबित किया। कोर्ट में उन्होंने तर्क दिया कि यदि मुठभेड़ के दौरान मौके पर फायरिंग हुई तो खोखा कारतूस की बरामदगी पुलिस ने क्यों नहीं की। जबकि घटनास्थल चौकी से मात्र 40 मीटर दूरी पर था। घटना का कोई स्वतंत्र साक्षी भी पुलिस ने नहीं जुटाया। जिन्होंने गवाही से इंकार किया उनके नाम भी पुलिस पेश नहीं कर पाई। गिरफ्तारी मीमाे में आरोपित की गिरफ्तारी का समय अंकित नहीं पाया गया।