मुजफ्फरनगर। किसान और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने डीएम चंद्रभूषण सिंह से मुलाकात की। सहमति बनी कि बिना डीएम के संज्ञान में लाए अधिकारी किसान की जमीन की नीलामी की प्रक्रिया नहीं अपनाएंगे। किसानों की जमीन को वसूली में नीलाम करने से पहले उन्हें ओटीएस योजना की जानकारी किसान की भाषा में सूचना व लोक अदालत में निस्तारण का मौका दिया जाए।
कलक्ट्रेट स्थित डीएम कार्यालय में बुलाई बैठक में गेहूं खरीद, चकबंदी, किसानों से ऋण की वसूली, खसरा खतौनी हिस्सा प्रमाणपत्र समेत अन्य विषयों पर चर्चा की गई। खसरा- खतौनी, हिस्सा प्रमाणपत्र सुगमता से उपलब्ध कराने के लिए तहसील में हेल्प डेस्क खोली जाएगी।
किसान प्रतिनिधि धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि छनाई सफाई और उतराई के डर से किसान गेहूं लेकर क्रय केंद्र नहीं जाना चाहते है। जिससे खरीद प्रभावित हो रही है। मानक के नाम पर झरना लगाए जाने के कारण भी किसान गेहूं क्रय केंद्रों पर नहीं बेच रहे हैं। जिन गांव में चकबंदी कार्य 80 प्रतिशत से ऊपर पूर्ण हो चुके हैं और गांव में अभियान चलाकर चकबंदी को एक माह के अंदर समाप्त कराया जाए। चकबंदी का कार्य 15 मई तक पूरा कर लिया जाए।
अगर कोई किसान अपनी जमीन का कुछ हिस्सा बेचकर ऋण चुकाना चाहता है, तो उसे जमीन विक्रय करने की स्वीकृति दी जाएगी। बैठक में किसान चिंतक धर्मेंद्र मलिक, पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक बालियान, भाकियू नेता नीटू दुल्हेरा, नीरज पहलवान, अक्षय त्यागी, निश्चल बालियान मौजूद रहे।