बागपत. यूपी व हरियाणा के बीच 53 साल से चल रहा सीमा विवाद खत्म करने के लिए बड़ी शुरूआत की जा रही है। पहली बार ईटीएस (इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन) से पैमाइश कराई जा रही है। सीमांकन तय करके लगाए जाने वाले पिलर जीपीएस पर रहेंगे। यदि पिलर उखाड़ भी दिए तो दोबारा पैमाइश नहीं करानी पड़ेगी। जीपीएस से लोकेशन देखकर दोबारा लगवा दिए जाएंगे।
यूपी व हरियाणा के किसानों की करीब 17 हजार 730 बीघा जमीन यमुना खादर में सीमा विवाद में फंसी है। यह विवाद 1968 से है। पहले केवल फसल की बुआई व कटाई को लेकर विवाद था। अब रेत खनन को लेकर भी विवाद है। इससे बागपत व शामली और हरियाणा के सोनीपत व पानीपत के किसान प्रभावित हैं। इस बार प्रशासन ने खेड़ा इस्लामपुर व कोताना में सीमा विवाद बढ़ने पर इसे निपटाने में रुचि दिखाई है। जिलाधिकारी राजकमल यादव के आग्रह पर शासन ने पैमाइश के लिए टीम गठित की है। जिसमें सर्वे विशेषज्ञ विजय सिंह को शामिल किया। इस टीम ने खेड़ा इस्लामपुर से पैमाइश शुरू की। इस बार आधुनिक तकनीक ईटीएस से पैमाइश कराई जा रही है। इसके बाद सीमांकन कर पिलर लगाए जाएंगे। उन पिलर की लोकेशन जीपीएस पर अपलोड की जाएगी।
दीक्षित अवार्ड के बावजूद नहीं खत्म हुआ विवाद
यमुना की धार कई बार बदलने से यूपी की जमीन हरियाणा और हरियाणा की जमीन यूपी की गई। उस जमीन पर कब्जे को लेकर विवाद है। इसके बढ़ने पर केंद्र ने 1974 में तत्कालीन कृषि मंत्री उमाशंकर दीक्षित की अध्यक्षता में कमेटी गठित की। दीक्षित अवार्ड के तहत दोनों प्रदेश की जमीन पर पिलर लगवाए गए। उस समय यमुना की धार को आधार मानकर सीमांकन किया था। उस समय तय हुआ था कि यूपी के किसानों की जमीन हरियाणा की ओर है तो उस पर हरियाणा के किसान काबिज होंगे और हरियाणा के किसानों की जमीन यूपी की ओर है तो उस पर यूपी के किसान काबिज होंगे। हालांकि उस पर कब्जा नहीं दिलाया गया।
बागपत-सोनीपत के इन गांवों के बीच विवाद
बागपत जिले के बागपत, निवाड़ा, सिसाना, गौरीपुर जवाहरनगर, नैथला, फैजपुर निनाना, लुहारी, कोताना, खेड़ी प्रधान, खेड़ा इस्लामपुर, छपरौली, टांडा, काकौर, बदरखा, जागौस, काठा, पाली, नंगला बहलोलपुर, मवीकलां, सुभानपुर, सांकरौद आदि गांव सीमा विवाद का दंश झेल रहे हैं। वहीं, सोनीपत के बेगा, चंदौली, पबनेरा, ग्यासपुर, मीमारपुर, जैनपुर, टिकौला, नांदनौर, असदपुर, गढ़मिर्कपुर, मनौली, दहीसरा, भैरा बांकीपुर आदि गांव के किसान सीमा विवाद से प्रभावित हैं।