नई दिल्ली: क्या आप इस साल नए साल की पार्टी में जाने के बारे में सोच रहे हैं? अगर आपका जवाब हां है, तो इस साल पार्टी में आपको कोविड ज़रूर मिलेगा. इसलिए ये अब आपको तय करना है कि आप नए साल की शुरुआत कोविड के साथ करना चाहते हैं? या सुख और शांति के साथ करना चाहते हैं?

ये बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पिछले 24 घंटों में भारत और पूरी दुनिया में कोविड के मामलों में ज़बरदस्त उछाल आया है. अब बड़ा सवाल ये है कि क्या हम तीसरी लहर की तरफ़ बढ़ रहे हैं? दो साल बाद भी दुनिया के पास लॉकडाउन के अलावा क्या कोविड का कोई इलाज नहीं है? पिछले दो साल में आप कोविड से बहुत थक चुके होंगे. पहले लॉकडाउन, फिर वैक्सीन का इंतज़ार, फिर आने पर अपनी बारी का इंतज़ार. फिर वैक्सीन लगवा कर Booster Dose का इंतज़ार. अब Booster Dose लगवा कर ये पता चल रहा है कि ये Omicron वेरिएंट पर प्रभावी ही नहीं है. तो आख़िर ये सिलसिला कहां जाकर ख़त्म होगा?

वहीं चीन कोविड नियमों का उल्लंघन करने को ऐसी सजा दे रहा है, जिनके बारे में सुनकर आप चौंक उठेंगे. वहां पर कोरोना प्रोटोकॉल तोड़ने वाले लोगों को PPE किट पहनाकर पूरे शहर में जुलूस निकाला गया. जिससे बाकी लोग भी इन्हें देख कर ये समझ जाएं कि अगर उन्होंने कोरोना के नियमों को तोड़ा तो उनका भी यही हाल होगा.

बता दें कि चीन कोरोना को रोकने के लिए लॉकडाउन लगा चुका है. बड़े पैमाने पर लोगों की Testing और विदेशी यात्राओं पर कड़े प्रतिबंध लगा चुका है. वहां पर वैक्सीन की 267 करोड़ डोज़ लगाई जा चुकी हैं. ये सब करके भी जब वो कोविड को नहीं रोक पाया तो उसने इस महामारी पर नियंत्रण के लिए ये नया तरीका अपनाया. अब दुनिया में बहस इस बात हो रही है कि क्या लोगों को ऐसी सज़ा देकर कोरोना को जा सकता है?

चीन में इस तरह की ये कोई पहली घटना नहीं है और शायद ये आख़िरी भी नहीं होगी. चीन की चिंता को आप इसी बात से समझ सकते हैं कि इस समय दुनिया में कोरोना का ज़बरदस्त विस्फोट हो चुका है. 25 दिसम्बर को पूरी दुनिया में कोविड के 5 लाख 12 हज़ार मामले सामने आए थे. वहीं 29 दिसम्बर को ये मामले तीन गुना बढ़ कर लगभग साढ़े 17 लाख हो चुके हैं.

भारत में भी पिछले 24 घंटों में कोरोना के नए मामले 40 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं. 34 दिनों के बाद पहली बार एक दिन में हमारे देश में 10 हज़ार से ज़्यादा लोग कोविड से संक्रमित हुए हैं. 25 दिसम्बर को भारत में लगभग 7 हज़ार मामले मिले थे और चार दिन बाद 29 दिसम्बर को ये संख्या 13 हज़ार पहुंच गई. इन आंकड़ों को देख कर लगता है कि भारत में कोविड का विस्फोट आने वाले दिनों में हो सकता है.

इस वक्त देश में 14 शहर ऐसे हैं, जहां कोविड के मामले दो से तीन गुना रफ्तार से बढ़ रहे हैं. इसके अलावा दिल्ली में नए मरीज़ों की संख्या पहले से 86 प्रतिशत और मुम्बई में 82 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है. इन दोनों ही जगहों पर Omicron के सबसे ज्यादा मामले हैं. इसलिए हो सकता है कि नए मामलों की जड़ में कोरोना का Omicron वेरिएंट हो.

भारत में Omicron का पहला मामला 2 दिसम्बर को मिला था. इन 28 दिनों में Omicron के मरीज़ों की संख्या 961 हो चुकी है. हालांकि वास्तविक आंकड़े इससे ज्यादा हो सकते हैं, क्योंकि अभी Omicron के मामलों का पता तभी चल पाता है, जब मरीज़ों के Samples की Genome Sequencing होती है. यानी RT-PCR टेस्ट ये बताने में सक्षण नहीं है कि कोई व्यक्ति Omicron से संक्रमित हुआ है या नहीं. इसलिए इन आंकड़ों से ऐसा लगता है कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर ज़्यादा दूर नहीं है.

भारत में कोरोनाकी दूसरी लहर को लेकर बिल्कुल सटीक जानकारी देने वाले Study Group… Cambridge Tracker ने कहा है कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर की शुरुआत दिसम्बर के आख़िरी हफ्ते से होगी. यानी इस हिसाब से आप कह सकते हैं कि ये लहर शुरू हो गई है और नए मामले 34 दिन बाद 10 हज़ार के पार चले गए हैं. हालांकि इस Study Group ने ये भी कहा है कि तीसरी लहर ज्यादा लम्बी नहीं होगी. ये जनवरी के अंत तक या फरवरी के पहले हफ़्ते में समाप्त हो जाएगी.

इसी तरह IIT कानपुर का अनुमान है कि भारत में तीसरी लहर का पीक फरवरी के पहले हफ्ते में आएगा. इस दौरान हर दिन अधिकतम एक से दो लाख नए मामले आ सकते हैं. हालांकि IIT कानपुर का भी यही अनुमान है कि भारत में तीसरी लहर एक से डेढ़ महीने तक ही रहेगी. इससे पहले दूसरी लहर लगभग तीन से चार महीने तक रही थी. इसके अलावा WHO ने भी कहा है कि कोरोना का Omicron और Delta वेरिएंट दोनों मिल कर दुनिया में कोविड के नए मामलों की सुनामी ला सकते हैं.

भारत में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर ये अनुमान सही भी हो सकते हैं, क्योंकि दक्षिण अफ्रीका में ऐसा ही हुआ था. दुनिया में Omicron का पहला मामला दक्षिण अफ्रीका में 24 नवम्बर को मिला था. इसके बाद वहां 12 दिसम्बर से हर दिन 30 हज़ार से ज़्यादा लोग वायरस से संक्रमित होने लगे. अब वहां सिर्फ़ लगभग 4 हज़ार मामले ही मिल रहे हैं. इससे ये पता चलता है कि Omicron की लहर ख़तरनाक है लेकिन ये लम्बे समय तक नहीं रहेगी.

दूसरी बात, अब तक जिन भी देशों में Omicron के मामले मिले हैं, वहां संक्रमण ज़रूर फैला है, लेकिन ये वायरस मरीज़ों के लिए घातक साबित नहीं हुआ. अकेले दक्षिण अफ्रीका में ही एक हज़ार मरीज़ों में से केवल 58 मरीज़ों को ही अस्पताल में भर्ती होना पड़ा.

शुरुआत में जब कोरोना आया था, उस समय 30 प्रतिशत मामलों में मरीजों को अस्पताल के ICU में भर्ती होना पड़ता था. लेकिन Omicron में ये आंकड़ा 30 प्रतिशत से घटकर 13 प्रतिशत हो गया है. इसे आप कुछ और उदाहरणों से भी समझ सकते हैं.

अमेरिका में 14 दिसम्बर को एक लाख 16 हज़ार नए केस मिले थे. लेकिन 29 दिसम्बर को वहां नए मामलों की संख्या बढ़कर 4 लाख 88 हज़ार हो गई. यहां नोट करने वाली बात ये है कि जिस तरह कोरोना के मामले वहां पिछले 15 दिनों में चार गुना बढ़े, उस हिसाब से मौतें घटी हैं. पहले हर 300 लोगों में वहां लगभग चार लोगों की मौत हो रही थी और अब हर 300 लोगों में केवल एक व्यक्ति की मौत हो रही है.

इससे ये पता चला है कि Omicron कोरोना का सबसे तेज़ी से फैलने वाला Variant तो है लेकिन ये ज़्यादा घातक नहीं है. इसे आप ब्रिटेन की स्थिति से भी समझ सकते हैं. वहां पिछले 15 दिनों में कोरोना के प्रति दिन मामले चार गुना तक बढ़ गए हैं लेकिन मरने वालों की संख्या लगभग आधी हो गईं. यानी जब 60 हज़ार केस आ रहे थे, तब 150 लोगों की हर दिन मौत हो रही थी और अब जब 2 लाख से ज़्यादा केस आ रहे हैं तो हर दिन मौत का आंकड़ा 68 ही है. इससे ये बात तो स्पष्ट है कि इस नई लहर में केस तो सुनामी की तरह आएंगे, लेकिन इस सुनामी की लहरें ज़्यादा ख़तरनाक नहीं होंगी.

Omicron वेरिएंट की दो बातें सबसे ज्यादा चिंताजनक हैं. एक तो ये कि ये वेरिएंट कई गुना रफ़्तार से फैलता है और जब मामले अचानक बढ़ते हैं तो लोगों में अफरा तफरी और डर की स्थिति बन जाती है, जिससे सरकारें आर्थिक पाबंदियां लागू करने के लिए दबाव में आ जाती हैं. दूसरी बात, ये वैक्सीन के कवच को भी भेद सकता है.

जिसकी वजह से कई देशों में वैक्सीन की दो डोज़ और तीन Booster Dose लगाने के बाद अब एक और Booster Dose लगाने का काम शुरू हो गया है. इन देशों में इज़रायल है, जर्मनी है और ब्रिटेन में भी चौथी Booster Dose लगाने पर विचार हो रहा है.

इसलिए आपको ये बात ध्यान रखनी है कि अगर हर दिन लाखों मामले आने लगे तो पैनिक बढ़ेगा और पैनिक के साथ अस्पतालों और डॉक्टरों पर दबाव भी बढ़ जाएगा. इसलिए आपको मास्क लगा कर रखना है. ये याद रखना है कि अगर आप किसी पार्टी में गए तो कोरोना आपको वहीं मिलेगा. अगर आप संक्रमित हो गए तो फिर आपकी मुश्किलें कम तो बिल्कुल नहीं होंगी. यानी आपकी सुरक्षा, आपके हाथ में है.

हालांकि इस संकट में भारत जैसे देश के लिए चुनौती ज्यादा है. यहां जनसंख्या ज्यादा है और संसाधन कम हैं. दिल्ली मेट्रो और सरकारी बसों को 50 प्रतिशत क्षमता के साथ चलाया जा रहा है. हालांकि इसकी वजह से लोग मारपीट कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें दफ्तर और काम पर जाने के लिए बसों और मेट्रो में जगह ही नहीं मिल पा रही.

दुनिया के बहुत सारे देशों ने ये मान लिया है कि जितना ज़रूरी लोगों की जान बचाना है, उतनी ही ज़रूरी अर्थव्यवस्था को भी पाबंदियों से बचा कर रखना है. हालांकि वो पिछले दो साल में कोविड से लड़ने के लिए लॉकडाउन के अलावा कोई दूसरा उपाय सोच ही नहीं पाए. सोचिए, इन दो वर्षों में वैक्सीन आ गई. Booster Dose आ गई. कई दवाइयां विकसित हो गईं, लेकिन कोविड के ख़िलाफ़ लड़ाई के हथियार नहीं बदले.

अब भी जब अचानक से कोरोना के बढ़ने लगते हैं तो लॉकडाउन और दूसरी आर्थिक पाबंदियां ही आख़िरी विकल्प के तौर दिखाई देती हैं. इससे पता चलता है कि पिछले दो वर्षों में दुनिया कोविड के ख़िलाफ़ Response के नए तरीक़ों को विकसित नहीं कर पाई. जो कि एक बड़ी नाकामी है.

हालांकि कुछ देशों ने इसकी शुरुआत ज़रूर की है. जब कोरोना आया था, तब Quarantine 14 दिनों का था. बाद में ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों ने इसे 10 दिन का कर दिया. अमेरिका ने तो इसे घटा कर केवल पांच दिन कर दिया है. इसके अलावा ब्रिटेन, इटली और फ्रांस में Quarantine की अवधि पहले ही 7 दिन हो चुकी है और अब ये कभी भी अमेरिका की तरह 5 दिन हो सकती है.

यहां आपको ये बात समझनी है कि अब कोविड को दो साल हो गए हैं और अब ज्यादातर देश ये मान कर अपनी अर्थव्यवस्था को बचा रहे हैं कि लोग इस बीमारी को जान चुके हैं और ज़िम्मेदार बन गए हैं. इसलिए आपको इस बात का ध्यान रखना है कि अब सरकारें ये काम आपके लिए नहीं करेंगी.

दो साल पहले जब कोविड आया था, तब ना तो इसकी कोई दवाई थी, ना इस बीमारी के बारे में किसी देश को ज्यादा पता था. वैक्सीन के बारे में भी कोई जानकारी नहीं थी कि ये कब तक बन जाएगी. हालांकि जब लॉकडाउन लगाया गया तो ये कहा गया कि जैसे ही वैक्सीन आ जाएगी, सबकुछ पहले की तरह सामान्य हो जाएगा. लेकिन इसके बाद जब एक साल के अन्दर ही वैक्सीन आ गई तो ये कहा गया कि जब तक सभी लोग वैक्सीन नहीं लगवाएंगे, तब तक ये महामारी नहीं जाएगी.

दूसरी लहर में जब मृत्युकाल चल रहा था, तब ऐसे लोगों ने भी वैक्सीन लगवा ली. अब जब करोड़ों लोग ये सोच रहे थे कि वो Fully Vaccinated हैं तो कोरोना का Omicron वेरिएंट आ गया जो वैक्सीन के कवच को भी तोड़ सकता है. Booster डोज़ भी इस पर प्रभावी नहीं है. यानी कुल मिला कर देखें तो ये एक ऐसी लड़ाई है, जिसका अंत दूर दूर तक नज़र नहीं आता. इसलिए आपको थकना नहीं है. आपको सावधान रहना है, मास्क लगा कर रहना है और भीड़ भाड़ से खुद को बचा कर रखना है.

दूसरी बात, भले कुछ देशों ने कोविड के ख़िलाफ़ Response का तरीका बदला है. वो Quarantine की अवधि भी घटा रहे हैं. अब भी अचानक मामले बढ़ने पर लॉकडाउन और दूसरी आर्थिक पाबंदियां ही आख़िरी विकल्प के तौर दिखती हैं. इससे पता चलता है कि पिछले दो वर्षों में दुनिया कोविड के ख़िलाफ़ Response के नए तरीक़ों को विकसित नहीं कर पाई. जो कि एक बड़ी नाकामी है.

सबसे अहम बात, पिछले दो साल आपकी जीवन में Emergency Phase की तरह रहे हैं. इस दौरान परिस्थितियों ने आपको मायूस किया है. आज आप भविष्य को लेकर कोई योजना नहीं बना सकते, क्य़ोंकि क्या पता कब कौन से महीने में कोरोना की लहर आए जाए. इसलिए हम आपसे यही कहेंगे कि आपको हार नहीं माननी है. थकना नहीं है. बल्कि वैक्सीन लगवा कर सावधानी बरतनी है और जीवन को इस हिसाब से जीना है, जैसे ये महामारी अब इसका हमेशा से हिस्सा रहेगी. ऐसा करके आप खुद को इससे लड़ने के लिए तैयार रख पाएंगे.