नई दिल्‍ली. देश में कोरोना के मामले एक बार फिर बढ़ रहे हैं, वहीं नवंबर में सामने आए नए वेरिएंट ओमिक्रोन का ग्राफ भी लगातार तेज हो रहा है. महज कुछ दिनों में ही बिना ट्रैवल हिस्‍ट्री के भी ओमिक्रोन के मरीज दिल्‍ली सहित कई राज्‍यों में सामने आ रहे हैं. कोरोना की दूसरी लहर में तबाही मचाने वाले डेल्‍टा वेरिएंट से भी कई गुना ज्‍यादा संक्रामक बताए जा रहे ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों का कहना है कि इसके फैलने की समयावधि काफी कम है. खास बात है कि सिर्फ एक मिनट के संपर्क में भी यह स्‍वस्‍थ्‍य व्‍यक्ति को संक्रमित कर सकता है.

दिल्‍ली स्थित वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्‍पताल के पल्‍मोनरी क्रिटिकल केयर मेडिसिन के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट डॉ. नीरज कुमार गुप्‍ता कहते हैं कि ओमिक्रॉन की संक्रमण क्षमता बहुत ज्‍यादा है. जैसा कि अभी तक फैल रहे संक्रमण और अध्‍ययनों के आधार पर कहा भी जा रहा है कि यह डेल्‍टा वेरिएंट के मुकाबले 70 फीसदी ज्‍यादा तेजी से फैल रहा है. इसको लेकर कहा जा रहा है कि यह बाहर से आया है और यात्रियों के माध्‍यम से भारत पहुंचा है लेकिन दिल्‍ली में हाल ही में दी गई एक रिपोर्ट में बताया गया कि 53 ऐसे मरीज हैं, जिनकी कोई ट्रैवल हिस्‍ट्री ही नहीं है. ऐसे में यह साबित करना संभव ही नहीं है कि ओमिक्रॉन इन व्‍यक्तियों तक कैसे पहुंचा. लिहाजा इसके सोर्स का पता लगाना अभी काफी मुश्किल हो रहा है. इसके साथ ही संपर्क का समय भी इसके लिए एक बड़ा कारण हो सकता है.

डॉ. गुप्‍ता कहते हैं कि दूसरी लहर तक कहा जा रहा था कि अगर कोई स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति 15 से 20 मिनट तक संक्रमित व्‍यक्ति के संपर्क में रहता है तो उसे कोरोना का संक्रमण होने की संभावना ज्‍यादा रहती है लेकिन ओमिक्रॉन जिस तेजी से फैल रहा है ऐसी स्थिति में संभव है कि संपर्क का समय बहुत कम हो. ऐसी स्थिति में अगर कोई व्‍यक्ति एक या दो मिनट के बीच में भी ओमिक्रॉन के मरीज के संपर्क में रहता है या सिर्फ पास से गुजरता है तो भी वह संक्रमित हो सकता है.

डॉ. गुप्‍ता कहते हैं कि मान लीजिए अगर कोई ओमिक्रॉन से संक्रमित व्‍यक्ति मेट्रो या बस आदि किसी भी सार्वजनिक वाहन में यात्रा कर रहा है तो वह पूरी ट्रेन को या बस को भी संक्रमित कर सकता है, इसे ओमिक्रॉन की ताकत या संभावना कह सकते हैं क्‍योंकि इसकी संक्रमण क्षमता बहुत ज्‍यादा है और फैलने का समय बहुत कम कम है. यही वजह है कि बहुत सारे मामलों में यह भी पता नहीं चल पा रहा है कि यह हुआ कैसे. कई बार जो लोग सार्वजनिक वाहनों में सफर नहीं कर रहे बल्कि अपने ही निजी वाहन में यात्रा कर रहे हैं, लेकिन उससे निकलकर वे कहीं गए, किसी दुकान या सड़क पर ही कुछ लेने के लिए, या फिर उन्‍होंने कार का शीशा ही खोला और रास्‍ता ही पूछा हो, ऐसे में अगर सामने वाला ओमिक्रॉन संक्रमित है तो यह बीमार करने के लिए पर्याप्‍त है.

डॉ. गुप्‍ता कहते हैं कि इसके लक्षण कम होना या माइल्‍ड होना भी एक बड़ी समस्‍या है. इसी वजह से बहुत सारे लोग जांच ही नहीं कराते जबकि उन्‍हें शिकायत होती है. वहीं ओमिक्रॉन का पता सिर्फ आरटीपीसीआर से नहीं चलता है, इसके लिए जीनोम सीक्‍वेंसिंग की जरूरत होती है. जबकि कोरोना के सभी केसेज की जीन सीक्‍वेंसिंग नहीं हो रही, लिहाजा जिन्‍हें सामान्‍य कोविड का मरीज माना जा रहा है, हो सकता है के वे भी ओमिक्रॉन के मरीज हों. ऐसे में इसके फैलने की संभावना और ज्‍यादा बढ़ जाती है.