मुजफ्फरनगर। किसानों की ट्यूबवेलों पर मीटर लगाने का विद्युत विभाग का अभियान धड़ाम हो गया है। जिले में 45 हजार कनेक्शन में से 500 मीटर का आंकड़ा भी पार नहीं हो पाया है। मीटर लगाने को लेकर कुछ गांवों में हुए विरोध के बाद विद्युत निगम बैकफुट पर है। जिले में 45 हजार निजी नलकूप हैं। सरकार ने सभी नलकूपों पर मीटर लगाने के आदेश विद्युत निगम को दिए थे। जिले में मीटर लगाने की प्रक्रिया तो शुरू हुई, लेकिन शुरू में ही बुढ़ाना और चरथावल क्षेत्र में हुए विरोध के बाद विद्युत निगम शांत हो गया।

बताया जा रहा है कि जिले में 500 नलकूपों पर भी अभी मीटर नहीं लग सके हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस मीटर का किसानों के बिल से कोई संबंध नहीं है। सरकार केवल हिसाब रखने के लिए मीटर लगवा रही है। सरकार ने नलकूप कनेक्शन पर एक निश्चित धनराशि तय कर रखी है। अधीक्षण अभियंता ग्रामीण निर्मल का कहना है कि उनके डिवीजन में केवल 250 मीटर ही लग पाए है। यही स्थिति दूसरे डिवीजन की है।

भाजपा और सपा ने चुनाव के दौरान सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली की बात अपने घोषणापत्र में शामिल की थी। भाजपा की सरकार बनी तो बिल आधा करने का एलान कर दिया गया। भाकियू ने काकड़ा महापंचायत में मीटर लगाने का विरोध किया था। संगठन का कहना है कि किसानों को यह बात बताई जानी चाहिए कि मीटर लगाने की पॉलिसी क्या है। बिजली बिलों का मीटर से क्या संबंध है। जानसठ में केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने कहा था कि मीटर से किसी तरह भी किसानों का उत्पीड़न नहीं होगा। यह सिर्फ बिजली की खपत का पता लगाने के लिए लगाए जा रहे हैं।