हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि उत्तर प्रदेश में पंचायतों की आरक्षण प्रक्रिया 17 मार्च तक हो जानी चाहिए. इसके अलावा पंचायत चुनाव 30 अप्रैल तक सम्पन्न हो जाने चाहिए। 15 मई तक सभी पंचायतों के गठन का आदेश दिया है. दरअसल, याची विनोद उपाध्याय ने 13 जनवरी तक पंचायत चुनाव न होने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. याचिका में पांच साल के अंदर पंचायत चुनाव न कराए जाने को आर्टिकल 243(ई) का उल्लंघन माना था.जबकि उत्तर प्रदेश सरकार ने कोविड के चलते पंचायत चुनाव समय से पूरा नहीं करा पाने को वजह बताया था।
एडवोकेट जनरल राघवेंद्र सिंह और एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने सरकार का पक्ष रखा. वहीं, याची की तरफ से अधिवक्ता पंकज कुमार शुक्ला ने पक्ष रखा. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस एम एन भंडारी और जस्टिस आर.आर आग्रवाल की डिवीजन बेंच ने यह आदेश दिया है। इससे पहले चुनाव आयोग ने कोविड के चलते परिसीमन में हुई देरी का हवाला देते हुए बताया कि 22 जनवरी को वोटर लिस्ट तैयार हो गई थी. इसके बाद 28 जनवरी तक परिसीमन भी कर लिया गया था. सीटों का आरक्षण स्टेट गवर्नमेंट को करना है, इसलिए चुनाव निर्धारित समय के अनुसार नहीं हो सके. बताया जा रहा है कि सीटों का रिजर्वेशन पूरा होने के बाद अभी 45 दिन का समय और लगेगा. इसलिए राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट से समय मांगा गया है। उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मई में पंचायत चुनाव कराने के प्रथम प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि नियमों के अनुसार ये चुनाव 13 जनवरी 2021 तक हो जाने चाहिए थे।