शामली। हरियाणा और वेस्ट यूपी को जोड़ने वाला 121 किमी लंबाई वाले अंबाला-शामली ग्रीन फील्ड इकोनॉमिक कॉरिडोर की भूमि का सहारनपुर जिले में 200 करोड़ और शामली में 150 करोड़ का मुआवजा अवमुक्त हुआ है। एक्सप्रेसवे का निर्माण करने के लिए एजेंसी के अंबाला, यमुनानगर, सहारनपुर, शामली में प्लांट के लिए भूमि चिह्नित कर ली है। एक्सप्रेसवे के लिए अधिग्रहीत भूमि में गन्ने की फसल खड़ी होने से कब्जा लेने की कार्रवाई धीमी हो गई है।
भारत माला परियोजना के तहत 121 किमी लंबा यह इकोनॉमिक कॉरिडोर अंबाला से शुरू होकर कुरुक्षेत्र, करनाल व यमुनानगर से होते हुए सहारनपुर और शामली जिले तक आएगा। 3663.80 करोड़ रुपये की लागत से छह लेन का इस इकोनॉमिक कॉरिडोर की चौड़ाई 60 मीटर प्रस्तावित है। सहारनपुर के 30 गांवों और शामली के 12 गांवों से होकर गुजरने वाला एक्सप्रेसवे जिले में थानाभवन ब्लॉक के भैसानी इस्लामपुर गांव के पास दिल्ली-देहरादून इकोनामिक कारिडोर एक्सप्रेसवे में मिलेगा। इसके लिए एनएचएआई की ओर से जिले के 12 गांवों के किसानों का मुआवजा स्वीकृत किया था। जिसमें एनएचएआई अंबाला डिवीजन की ओर से अवमुक्त 100 करोड़ में से 87 करोड़ जिले के किसानों को वितरित किया चुका है।
सहारनपुर जिले के 30 गांवों के लिए 95 करोड़ का मुआवजा वितरित किया गया। किसानों को मुआवजा वितरित करने के बाद एनएचएआई की अंबाला डिवीजन की ओर से शामली जिले को 150 करोड़ रुपये और सहारनपुर जिले के लिए 200 करोड़ रुपये का मुआवजा अवमुक्त किया गया है।
अंबाला डिवीजन साइट इंजीनियर अमित कुमार ने बताया कि शामली में 87 करोड़, सहारनपुर जिले में 95 करोड़ रुपये और यमुनानगर-करनाल, कुरुक्षेत्र जिलों में मुआवजा वितरण कार्य पूरा हो चुका है। उन्होंने बताया कि इस एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए अंबाला के बेहटा, यमुनानगर जिले के रादौर, और सहारनपुर जिले के गंगोह-देवबंद मार्ग शामली जिले में थानाभवन में प्लांट की भूमि चिह्नित कर ली गई है। जल्दी ही प्लांट तैयार होने के बाद निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि जिले के 12 गांवों में सिर्फ जमालपुर समेत तीन गांवों में कुछ भूमि पर कब्जा मिला है। एक्सप्रेसवे की 80 प्रतिशत भूमि पर गन्ने की फसल होने से कब्जा मिलने में परेशानी आ रही है। गन्ने की फसल कटाई के बाद भूमि पर कब्जा मिलने पर एक्सप्रेसवे के निर्माण में तेजी आएगी।