मुजफ्फरनगर। नगर पालिका के अफसरों की अदूरदर्शिता से पालिका को नुकसान उठाना पड़ रहा है। पालिका के पास अपनी पोकलेन मशीन होने के बाद भी 2.04 लाख रुपये महीना पर किराए की मशीन ले रखी है। अपनी नई मशीन पांच माह से शो पीस बना रखी है।

नगर पालिका में एटूजेड प्लांट में कूड़े के ढेर लगे हैं। कूड़ा नीचे से ऊपर पहुंचाने के लिए पोकलेन मशीन की आवश्यकता होती है। लगभग पांच साल पहले पोकलेन मशीन किराए पर ली गई थी। पालिका 2.04 लाख रुपये महीना किराया इस मशीन का देती है। पांच माह पहले पालिका बोर्ड के प्रस्ताव के बाद चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने टेंडर आदि की प्रक्रिया पूरी कराने के बाद नई पोकलेन मशीन खरीदी। 69 लाख की कीमत से पांच माह पहले खरीदी गई यह मशीन गहरा बाग के सेना के कैंप में खड़ी है।

पालिका के पास अपनी मशीन आने के बाद भी आज तक इसका प्रयोग नहीं किया गया है, यह शोपीस बनी हुई है। पालिका ईओ हेमराज का कहना है कि वह कुछ नहीं बोलेंगे। वहीं सिटी मजिस्ट्रेट अनूप कुमार का कहना है कि इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है।

नगर पालिका पोकलेन मशीन को 2.04 लाख रुपये महीना का किराया देने के साथ प्रतिदिन 90 लीटर डीजल भी देती है। पांच माह में 10.20 लाख रुपये का किराया और प्रतिदिन का डीजल जा चुका है।

प्रभारी नगर स्वास्थ्य अधिकारी योगेश कुमार का कहना है कि पोकलेन मशीन की थर्ड पार्टी की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। फाइल गई हुई है, प्रक्रिया के बाद ही पोकलेन मशीन से कार्य लिया जाएगा।

मुजफ्फरनगर। शहर की सफाई व्यवस्था राम भरोसे चल रही है। आलम यह है कि पालिका अपने संसाधनों का प्रयोग भी नहीं कर पा रही है। आठ कांपेक्टर, पांच टिपर और 50 रेहडे कंपनी बाग में तीन माह से खड़े हैं।

शहर में सफाई व्यवस्था को लेकर प्रतिदिन सवाल खड़े होते हैं। बावजूद इसके पालिका के अधिकारी और हमारे जनप्रतिनिधि संवेदनशील नहीं हैं। शहर की सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए 02.40 करोड़ की कीमत में आठ कांपेक्टर मंगाए गए हैं। तीन माह से ये कांपेक्टर कंपनी बाग में खड़े हैं, अभी तक इनका कोई प्रयोग नहीं हुआ है। इन कांपेक्टर को उन स्थानों पर खड़ा करने का प्लान था, जहां प्रतिदिन कूड़ा डलता है। कूड़ा टिपर के माध्यम से सीधा इनमें डल जाता तो गंदगी की बड़ी समस्या का निस्तारण हो जाता। पालिका के अफसरों ने इस तरफ ध्यान हीं नहीं दिया। यही नहीं कंपनी बाग में पांच टिपर और पचास नये रेहडे़ भी ऐसे खड़े हैं, जिनका कोई प्रयोग नहीं हो रहा है।
नगर स्वास्थ्य अधिकारी योगेश कुमार का कहना है कि वह अभी नए आए हैं। कांपेक्टर, टिपर और रेहडों के बारे में मुझे जानकारी नहीं हैं।