नई दिल्ली। एक चुनावी सर्वे में जब भाजपा को लगभग 260 सीटों के साथ सत्ता में वापसी करने का अनुमान लगाया गया तो इस पर शायद ही किसी को आश्चर्य हुआ हो। इसका सबसे बड़ा कारण यही माना जाता है कि एक तरफ तो भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपने कामकाज से अपना एक बड़ा समर्थक वर्ग तैयार किया है, तो दूसरी तरफ विपक्ष की धार कुंद पड़ी हुई है। विपक्ष की प्रभावी भूमिका के अभाव में 2022 का चुनावी समर एकतरफा होता दिख रहा था, लेकिन रविवार को मुजफ्फरनगर में किसानों की महापंचायत ने प्रदेश के सियासी माहौल में एक नए समीकरण की उम्मीद पैदा कर दी है। लगभग पांच लाख किसानों की इस महापंचायत ने किसान नेताओं के चेहरों पर ही नहीं, विपक्ष के चेहरे पर भी मुस्कान लौटा दी है।
संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख नेता अविक साहा ने अमर उजाला से कहा कि भाजपा की सबसे बड़ी ताकत जनता को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने की रही है। लेकिन मुजफ्फरनगर की किसान महापंचायत से हमने सबसे बड़ा संदेश यही दिया है कि किसानों के लिए ’किसानी’ के अलावा कोई दूसरी जाति या धर्म नहीं होती। वे केवल किसानी धर्म को ध्यान में रखते हुए अपने लाभ-नुकसान को ध्यान में रखते हुए वोट करेंगे। अगले दो-तीन महीने यूपी के हर गांव, ब्लॉक और जिले के स्तर पर जनसभाएं कर वे किसानों को उनके इसी किसानी धर्म को याद रखते हुए विधानसभा चुनाव में वोट करने की अपील करेंगे।
जानकारों के अनुसार किसानों का यह विरोध भाजपा को पश्चिमी यूपी में कम से कम 100 सीटों पर सीधा नुकसान पहुंचा सकता है, जबकि पूर्वांचल और अन्य क्षेत्रों में भी इसका बड़ा असर देखने को मिल सकता है।
अविक साहा ने कहा कि इस किसान महापंचायत के दीर्घकालिक संदेश भी निकले हैं जो इस चुनाव से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। इसमें उत्तर प्रदेश के हर गांव, ब्लॉक और जिले स्तर तक किसानों का एक बड़ा जमीनी संगठन तैयार करना शामिल है, जो बाद में भी समय-समय पर किसानों के मुद्दों के लिए संघर्ष करते रहेंगे। महाराष्ट्र-गुजरात में किसान संगठन न केवल ज्यादा संगठित हैं, बल्कि ज्यादा प्रभावी भी हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में इसका प्रभाव अपेक्षाकृत सीमित रहा है।
क्या किसान आंदोलन राजनीतिक हो गया है? क्या किसान नेता विपक्ष के नेताओं के इशारे पर आंदोलन चला रहे हैं? इन आरोपों पर किसानों ने कहा कि उनका आंदोलन पूरी तरह गैर-राजनीतिक है। वे चुनाव में किसानों से अपने ’दुश्मन’ को पहचानने की अपील तो करेंगे, लेकिन किसी भी राजनीतिक दल को समर्थन देने की बात नहीं कहेंगे। इस परिस्थिति से उपजे समीकरणों से किसी को लाभ होता है तो यह उनकी अपनी राजनीति हो सकती है। अगर सरकार उनके मुद्दों पर अपना समर्थन दे दे तो यह आंदोलन इसी समय समाप्त हो सकता है।
विपक्षहीन राजनीति चाहती है भाजपा
सपा नेता जूही सिंह ने कहा कि भाजपा चाहती है कि इस देश में अकेली उसकी विचारधारा रहे, कोई दूसरा किसी भी अन्य विचार को न माने। उन्होंने कहा कि भाजपा विरोध की किसी सोच को स्वीकार नहीं करती है, यही कारण है कि उसको हर आंदोलन के पीछे विपक्षी दल ही नजर आते हैं।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल के कारण सभी को कामकाज करने में परेशानी पैदा हुई थी, लेकिन उनकी पार्टी लगातार सरकार के कामकाज पर हमलावर है। उनका संगठन अनेक यात्राएं निकालकर सरकार के जनविरोधी कार्यों का विरोध करती रही है और आगे भी करती रहेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा को जमीन पर हो रहे बदलाव को समझने और उसके अनुसार काम करना चाहिए।
कांग्रेस हमेशा सड़कों पर रही
उत्तर प्रदेश में विपक्ष असरहीन हो गया है? इन आरोपों पर यूपी कांग्रेस उपाध्यक्ष विश्वविजय सिंह ने कहा कि यह आरोप पूरी तरह सही नहीं है। कांग्रेस ने कोरोना काल में जनता की तकलीफ के समय उनके साथ खड़ी रही। लॉकडाउन में किसानों को उनके घर पहुंचाने से लेकर उन्हें मदद पहुंचाने, भोजन पहुंचाने और दवाई-इलाज की सुविधा पहुंचाने में लगातार काम किया गया। उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को कई बार जेल में बंद कर दिया गया, लेकिन इसके बाद भी उनका विरोध जारी रहा।
हालांकि, कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि इसी दौरान समाजवादी पार्टी अपने घरों में बंद रही तो बहुजन समाज पार्टी नेता मायावती केवल ट्विटर पर अपना विरोध दर्ज कराने तक सीमित रहीं। इन दलों के कमजोर विरोध प्रदर्शन के लिए उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा और सपा-बसपा में अंदरूनी सांठगांठ होने का भी आरोप लगाया।
भाजपा ने किया बचाव
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि किसानों के इस आंदोलन के पीछे विपक्षी दल काम कर रहे हैं। उनका दावा है कि यूपी सरकार ने किसानों के लिए अनेक योजनाएं लागू की हैं, किसानों की फसलों की रिकॉर्ड खरीद एमएसपी मूल्य पर हुई है, उन्हें गन्ने के मूल्य का उचित भुगतान किया गया है और किसानों के कर्जमाफी से लेकर उन्हें 18-20 घंटे तक बिजली सप्लाई की जा रही है। प्रदेश सरकार अनेक योजनाओं के जरिए किसानों की आय बढ़ाने पर काम कर रही है। सोमवार को भी मुख्यमंत्री कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर नई संभावनाओं पर चर्चा करेंगे। माना जा रहा है कि सरकार किसानों के लिए कुछ अन्य उपायों की भी घोषणा कर सकती है।
उत्तर प्रदेश भाजपा के नेता शैलेंद्र शर्मा ने कहा कि पूरा देश देख रहा है कि किसानों के आंदोलन के पीछे विपक्षी दल सक्रिय हैं। वे किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर सरकार पर निशाना साध रहे हैं, लेकिन प्रदेश की जनता यह सच्चाई समझती है और यही कारण है कि इस आंदोलन से विपक्षी दलों को कोई लाभ नहीं होगा।