मुजफ्फरनगर। साढ़े पांच दशक से पश्चिम यूपी की राजनीति में दखल रखने वाले स्वरूप परिवार की सियासी राह अलग-अलग हो गई है। पूर्व मंत्री चितरंजन स्वरूप के बेटे सौरभ स्वरूप बंटी को गठबंधन ने शहर सीट से प्रत्याशी बनाया है। टिकट नहीं मिलने से नाराज उनके भाई पूर्व सपा जिलाध्यक्ष गौरव स्वरूप भाजपा में शामिल हो गए हैं। भाईयों के बीच एक ही घर में सियासी पाला खिंच गया है।
शहर के स्वरूप परिवार का सियासत से पुराना नाता रहा है। 1967 में विष्णु स्वरूप निर्दलीय विधायक चुने गए थे। सिर्फ वैश्य समाज ही नहीं, बल्कि अन्य वर्गों में भी परिवार की स्वीकार्यता बनीं। 1974 में कांग्रेस के टिकट पर विष्णु स्वरूप के भाई चितरंजन स्वरूप पहली बार विधायक बनें थे। उन्होंने जनसंघ की मालती शर्मा को हराया। इसके बाद चितरंजन स्वरूप का नाम प्रदेश की राजनीति में भी गूंजता रहा। 2012 में वह शहर से जीते तो मंत्री बनाए गए थे। उनके निधन के बाद सीट खाली हुई तो बेटे गौरव स्वरूप को सपा ने टिकट दिया, लेकिन वह हार गए। 2017 में भी गौरव स्वरूप चुनाव हार गए। इसे बाद सपा ने उन्हें लोकसभा का टिकट दिया, लेकिन गौरव ने लौटा दिया था। इस बार टिकट पर दावा पूर्व मंत्री चितरंजन स्वरूप के दूसरे बेटे सौरभ स्वरूप उर्फ बंटी ने कर दिया। टिकट के लिए सपा-रालोद गठबंधन से दोनों भाईयों के बीच खींचतान हुई।
गौरव स्वरूप दो बार चुनाव हार चुके थे, जिस कारण गठबंधन ने उनके बजाए सौरभ स्वरूप को वरीयता दी। सौरभ के टिकट के बाद से ही गौरव नाराज चल रहे थे। शुक्रवार को चितरंजन स्वरूप के परिवार में सियासी पाला खिंच गया। गौरव स्वरूप ने लखनऊ पहुंचकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली।