मुजफ्फरनगर।  मुजफ्फरनगर जिले में जौली रोड और भोपा रोड की फैक्ट्रियों से निकलने वाला काला धुआं अब स्थानीय निवासियों और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन गया है। इन फैक्ट्रियों की चिमनियों से लगातार निकलने वाला प्रदूषण न केवल हवा को गंदा कर रहा है।

स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस गंभीर समस्या को नियंत्रित करने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है। शिकायतों के बावजूद अधिकारियों की ओर से केवल औपचारिक कार्रवाई की जाती हैं, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। इस समस्या का समाधान न होने से नागरिकों में गहरी नाराजगी है।

हाल ही में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 2 जनवरी को एक छापेमारी कर जौली रोड स्थित कृष्णाचल पल्प एंड पेपर प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री का निरीक्षण किया। बोर्ड का दावा था कि निरीक्षण के दौरान फैक्ट्री में वायु प्रदूषण नियंत्रण की व्यवस्था संचालित पाई गई, लेकिन स्थानीय निवासियों ने इस दावे को खारिज कर दिया। इसके बाद भी बुधवार सुबह फैक्ट्री की चिमनियों से फिर से काला धुआं निकलता देखा गया।

प्रदूषण का असर मुजफ्फरनगर की हवा की गुणवत्ता पर भी दिखने लगा है। बुधवार को जिले का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 115 दर्ज किया गया, जो येलो श्रेणी में आता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्तर सांस, दमा और दिल के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक है।

फैक्ट्रियों से निकलने वाले इस काले धुएं ने आस-पास के निवासियों का जीना दूभर कर दिया है। लोगों का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शिकायतों पर ध्यान नहीं देता और अगर कार्रवाई की जाती भी है, तो वह केवल औपचारिकता होती है।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत फैक्ट्रियों को वायु प्रदूषण नियंत्रण के मानकों का पालन करना अनिवार्य है। लेकिन बोर्ड की सुस्त कार्रवाई और फैक्ट्रियों की लापरवाही ने इन नियमों को मजाक बना दिया है।