मुजफ्फरनगर। भाकियू की मुश्किलें अभी और बढ़ेंगी। बिखराव के बाद बने नए संगठन में कई और बड़े चेहरे शामिल हो सकते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नए संगठन के विस्तर को लेकर जोड़ तोड़ शुरू हो गई है। किसान सदस्यता अभियान चलाया जाएगा। पश्चिम उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष की नियुक्ति जल्द होगी।

भाकियू अराजनैतिक के गठन के बाद अब संगठन के जिलों और गांवों तक विस्तार करने पर मंथन शुरू हो गया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश चौहान, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मांगेराम त्यागी, राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक, राष्ट्रीय महासचिव अनिल तालान, प्रदेश अध्यक्ष हरिनाम सिंह वर्मा, प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह और युवा विंग के अध्यक्ष दिगंबर सिंह लंबे समय तक भाकियू से जुड़े रहे हैं।

नया संगठन बनाने के बाद भाकियू के प्रभाव वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खुद को साबित करना चुनौती भरा होगा। ऐसे में रणनीतिकारों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मुरादाबाद, अलीगढ़ और मेरठ मंडल में सदस्यता अभियान चलाने पर काम शुरू कर दिया है। इसके अलावा भाकियू के कई बड़े चेहरे भी अपने पुराने साथियों के संपर्क में है। अगले 10 दिन में भाकियू अराजनीतिक अपना विस्तार कर कार्यकारिणी का एलान कर सकती है।

नए संगठन में संरक्षक बनाए गए गठवाला खाप के चौधरी राजेंद्र मलिक के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। खाप के थांबेदारों को एक मंच पर लाने और नए संगठन से जोड़ना भी उनके लिए आसान नहीं होगा। गठवाला खाप में नए संगठन को मजबूती देने की जिम्मेदारी राजेंद्र सिंह मलिक पर होगी।

भाकियू ने डैमेज कंट्रोल रोकने की कवायद शुरू कर दी है। भरोसेमंद पदाधिकारियों से बातचीत कर उनके मन की बात ली जा रही है। बुढ़ाना के जौला गांव पहुंचे भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि पदाधिकारियों को पूरा सम्मान दिया गया। धर्मेंद्र मलिक का नाम लिए बिना कहा कि संगठन ने ही उन्हें 10 विदेश यात्राएं कराई और क्या चाहिए था। वर्तमान समय किसानों की लड़ाई लड़ने का है। जिन्होंने नया संगठन बनाया , वह भी किसानों की लड़ाई लड़ें।

भाकियू में बिखराव दिनभर चर्चा का विषय रहा। भाकियू के समर्थक जल्द ही महापंचायत भी बुला सकते हैं। अटकलें लगाई जा रही है कि महापंचायत गठवाला खाप के किसी गांव में हो सकती है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सहारनपुर और मेरठ मंडल से बड़े किसान आंदोलन हुए हैं। भाकियू अराजनैतिक के लिए पश्चिम में किसानों के बीच स्वीकार्यता वाले चेहरे की तलाश करनी होगी। संगठन की रणनीतिकार भाकियू छोड़कर गए पुराने चेहरों को लेकर मंथन कर रही है। जल्द ही इस पर फैसला होगा।