इंदौर: देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ों संवारा जा रहा है. अब इंदौर के पेड़ अपना बायोडाटा खुद ही पेश करेंगे. पेड़ों पर लगे बारकोड की मदद से उनकी पूरी जानकारी मोबाइल के जरिए ली जा सकेगी. इसकी शुरुआत इंदौर के चिड़ियाघर (जू) से की गई है. वहां पेड़ों पर बारकोडिंग की जा रही है. इससे पहले यह काम ग्वालियर के चिड़ियाघर में किया जा चुका है.
दरअसल इंदौर के कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय (जू) ने एक अनूठी पहल की है. इंदौर जू अपने किए गए कामों को लेकर हमेशा से चर्चा में रहता है. चाहें वह पक्षियों के लिए बनाया गया वर्ड हाउस हो या मंकी हाउस या फिर व्हाइट ब्लैक टाइगर हों, इंदौर में जू आकर्षण का केंद्र है. पर्यटक खास उत्साह के साथ यहां घूमने जाते हैं. अब पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए जू प्रशासन पेड़ों के बारे में पर्यटकों को जानकारी देने के लिए उनपर बारकोडिंग कर रहा है.
जू आने वाला कोई पर्यटक जैसे ही किसी पेड़ पर लगे बार कोड को स्कैन करेगा, उसे उस पेड़ की पूरी जानकारी उसके मोबाइल के स्क्रीन पर आ जाएगी. इसमें उस पेड़ की उम्र, पेड़ का नाम, उसके आयुर्वेदिक गुण दर्ज होगा. चिड़ियाघर प्रशासन ने अब तक 150 अलग-अलग पेड़ों की प्रजातियों पर इन बारकोड को लगा दिया है. आने वाले समय में इंदौर के और भी गार्डन में पेड़ अपनी पहचान बताएंगे.
इंदौर जू के प्रबंधक डॉक्टर उत्तम यादव ने बताया की जू अथॉर्टी पेड़ों पर टैग लगा रहा है. उन्होंने बताया कि बारकोड के माध्यम से पेड़ अपना बायोडाटा खुद पेश करेंगे. उन्होंने बताया कि यहां आने वाले पर्यटक बारकोड की मदद से यह जान सकेंगे कि पेड़ की खूबियां क्या हैं और वह किस प्रजाति का है.उन्होंने बताया कि अभी जू में 150 प्रजातियों के पेड़ों पर टैगिंग की जा रही है. उन्होंने बताया की इंदौर जू प्रदेश का ऐसा दूसरा प्राणी संग्रहालय है, जहां इस प्रकार का प्रयोग किया जा रहा हैं. इससे पहले ग्वालियर जू में पेड़ों पर बारकोडिंग की गई है.