बागपत। राजकीय बीज भंडारों में नगद राशि जमा कराने के बाद गेहूं, सरसों सहित अन्य फसलों का बीज एवं कीटनाशक खरीदने वाले हजारों किसान एक साल से छूट से वंचित हैं। यूपी एग्रीकल्चर वेबसाइट बंद होने से मेरठ मंडल के लगभग 16 हजार किसानों का पंजीकरण अटका हुआ है। इस कारण उनके खातों में छूट की राशि नहीं पहुंच रही है। यह हाल तब है, जब कृषि विभाग पांच बार पात्रों के खातों में छूट भेजने के लिए लखनऊ उच्चाधिकारियों को रिमांडर भेज चुका है।
राजकीय बीज भंडारों से किसानों को प्रमाणित बीज उपलब्ध कराने के लिए शासन ने डीबीटी योजना संचालित कर रखी है। इसके तहत किसानों को सरकारी गोदाम से बीज क्रय करने के लिए पहले विभागीय वेबसाइट पर पंजीकरण कराना होता है। इसके बाद निर्धारित मूल्य पर बीज नकद दाम पर खरीदना होता है। विभाग किसान को सब्सिडी की राशि बैंक खाते के माध्यम से उपलब्ध कराता है। यह योजना उन हजारों किसानों के लिए सिरदर्द बन गई है, जिन्हें विरासत में कृषि भूमि मिली है।
कृषि विभाग के रिकार्ड के अनुसार मेरठ मंडल के छह जनपदों में ऐसे किसानों की संख्या लगभग 16 हजार है। जिनके खातों में छूट की लगभग 1.91 करोड़ की राशि नहीं पहुंची है। एक साल से यूपी एग्रीकल्चर वेबसाइट बंद होने से उक्त किसानों का पंजीकरण अटका हुआ है। इसलिए उन्हें छूट का लाभ नहीं मिल रहा है। बागपत जनपद के छह राजकीय बीज भंडार से 1500 किसानों ने नगद राशि जमा कर बीज और कीटनाशक खरीदे हैं। उन्हें एक साल बीत जाने् के बाद भी छूट के नाम पर फूटी-कौड़ी नहीं मिली है। यह हाल तब है, जब कृषि विभाग पांच बार इन किसानों के खातों में छूट भेजने के लिए लखनऊ उच्चाधिकारियों को रिमांडर भेजकर वेबसाइट खोलने का आग्रह कर चुका है।
ढ़िकाना गांव के किसान सुधीर कुमार पुत्र रामपाल सिंह ने बताया कि उधार रुपये लेकर राजकीय बीज भंडार में जमा कराए थे। वहां से बीज एवं कीटनाशक खरीदे थे, लेकिन एक साल बाद भी छूट का पैसा नहीं मिला।
शबगा गांव के किसान अजेंद्र पंवार पुत्र सुरेंद्र ने बताया कि राजकीय बीज भंडार बड़ौत से गेहूं और सरसों का बीज खरीदा था, लेकिन छूट नहीं मिली।
राजकीय बीज भंडार पर तैनात एसडीओ तेजपाल चौहान ने बताया कि जिन किसानों को विरासत में जमीन मिली है। उन्हें नगद राशि जमा करने के बाद भी बीज एवं कीटनाशक पर छूट नहीं मिल रही है। यूपी एग्रीकल्चर वेबसाइट बंद होने के कारण उनका पंजीकरण नहीं हो रहा है।
जिला कृषि अधिकारी बाल गोविंद यादव का कहना है कि पंजीकृत किसानों को छूट का लाभ मिले। इसके लिए पांच बार विभाग की ओर से रिमांइडर भेजा जा चुका है।
जनपद का नाम किसानों की संख्या बीज की छूट की राशि कीटनाशक की छूट की राशि
बागपत 1500 10 लाख 6 लाख
शामली 2000 14 लाख 10 लाख
मुजफ्फरनगर 2400 18 लाख 12 लाख
सहारनपुर 2800 20 लाख 14 लाख
बिजनौर 3000 22 लाख 15 लाख
मेरठ 4000 30 लाख 20 लाख