बागपत। अपने अस्तित्व के लिए लड़ने वाली रालोद की कहानी फर्श से अर्श तक पहुंचने वाली हो गई है। जहां दो साल पहले तक रालोद का एक विधायक तक नहीं था। वहीं अब वह चारों सदन तक पहुंच गया है और राज्य व केंद्र में मंत्री की कुर्सी भी मिल गई है। इस तरह पार्टी को मजबूती मिलती दिख रही है। रालोद के टिकट पर वर्ष 2017 में छपरौली से चुनाव लड़कर सहेंद्र सिंह रमाला ही अकेले विधायक बने थे। मगर वह भी करीब एक साल बाद भाजपा के साथ चले गए। इस तरह रालोद के पास न कोई विधायक और न कोई सांसद रहा।
पार्टी को अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़नी पड़ी और वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में आठ विधायकों ने जीत दर्ज की। तब केवल एक सदन विधानसभा तक ही रालोद पहुंच सका, मगर उसके कुछ दिन बाद ही रालोद अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह राज्यसभा में पहुंच गए तो रालोद दो सदनों तक पहुंची। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा के साथ गठबंधन करने पर जहां रालोद के पुरकाजी से विधायक अनिल कुमार को राज्य में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। वहीं मथुरा के योगेश चौधरी को एमएलसी बनाया गया।
अब रालोद के डा. राजकुमार सांगवान व चंदन चौहान जीतकर लोकसभा में पहुंचे हैं। यह सब कुछ होने के बाद अब रालोद अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह केंद्र में मंत्री बनाए गए हैं। इस तरह रालोद ने ऐसा करके कई बड़ी पार्टियों को पीछे छोड़ दिया है, जो चारों सदनों में उपस्थिति दर्ज कराने के साथ ही राज्य व केंद्र में मंत्री पद संभाले हुए है।
जिस तरह से दो साल के अंदर रालोद सभी सदन तक पहुंच गई और राज्य व केंद्र में मंत्री की कुर्सी भी मिल गई। इसको देखकर साफ कहा जा सकता है कि रालोद की पकड़ मजबूत होती दिख रही है। हालांकि ऐसा भी पहली बार हुआ है कि रालोद जितनी सीटों पर चुनाव लड़ी, उन सभी पर जीत दर्ज की। चाहे वह दो सीट रही होें। इस तरह रालोद के लिए फिलहाल सब कुछ सकारात्मक होता दिख रहा है।