मुजफ्फरनगर। महा शक्ति पीठ शुक्रताल आश्रम की संचालिका माता योगिनी राज नंदेश्वरी की मौत प्रकरण में पुलिस ने दावा किया है कि जांच में मृत्यु किसी भी प्रकार से संदेहास्पद होना नहीं पाया गया है। सत्यता की जांच के लिए अस्थियों को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट आने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
एसपी देहात अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि प्रकाशानंद एवं माता राजनंदेश्वरी एक ही गांव माछरा के निवासी थे। प्रकाशानन्द के एक पुत्र शिवकुमार एवं दो पुत्रियां थीं। शिवकुमार की वर्ष 2018 में मृत्यु हो गई। शिवकुमार के दो पुत्र चन्द्रमा एवं मोहक हैं। प्रकाशानन्द एवं माता राजनंदेश्वरी ने सर्वप्रथम जनपद मिर्जापुर और बाद में बिल्हौर जनपद कानपुर देहात में आश्रम खोला। चन्द्रमा छह वर्ष की आयु में अपने दादा प्रकाशानन्द के साथ बिल्हौर चला गया। वर्ष 1994 में प्रकाशानन्द एवं माता राजनंदेश्वरी ने चन्द्रमा को उसकी माता योगनंदनी से दत्तक पुत्र के रूप में स्वीकार किया। 20 जुलाई 2019 को रजिस्टर्ड गोदनामा तैयार कराया।
एसपी देहात के अनुसार वर्ष 1996 में प्रकाशानन्द, माता राजनंदेश्वरी एवं चन्द्रमा शुक्रताल आ गये और जमीन खरीद कर महा शक्ति पीठ नामक आश्रम व श्रीबालाजी योग विज्ञान अनुसंधान केंद्र खोला। साध्वी ने 26 मई की रात डाॅ. अशोक से बीमारी के बारे में बातचीत की थी। 27 मई की रात तबीयत खराब होने पर उन्हें पहले मोरना और बाद में मुजफ्फरनगर जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था।
डाक्टर ने साध्वी की मृत्यु पर किसी भी प्रकार का शक जाहिर नहीं किया। चन्द्रमा की सूचना पर मृतका के चचेरे भाई माछरा निवासी धीरज त्यागी, भांजे विनय त्यागी व अन्य परिजन पहुंचे थे। अंतिम संस्कार के समय मौजूद मांगेराम त्यागी, सेवानिवृत्त पुलिस निरीक्षक सुनील कुमार त्यागी और साध्वी के परिजन व साधु-संतों ने शव का पोस्टमार्टम न कराकर अंतिम संस्कार की मौखिक सहमति दी थी।
एसपी देहात के अनुसार, साध्वी हृदय रोग का पहले से इलाज चल रहा था। वर्तमान में साध्वी का उपचार मुजफ्फरनगर निजी अस्पताल में चल रहा था। जांच में साध्वी की मृत्यु किसी भी प्रकार से संदेहास्पद होना नहीं पाया। फिर भी मृत्यु की सत्यता की जांच के लिए अस्थियों को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा हैं। रिपोर्ट आने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।