गाजियाबाद. दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के लिए अधिग्रहीत की गई जमीन से जुड़ा एक और घोटाला सामने आया है। गांव रसूलपुर सिकरोड़ा एवं मटियाला के खसरा नंबरों की जांच में फर्जी तथ्यों के आधार पर फर्जी सहकारी समिति गठित कर 22 करोड़ रुपये ज्यादा मुआवजा हड़पने का खुलासा हुआ है।

दो अफसरों के रिश्तेदारों की तरह इस मामले में भी अधिग्रहण की धारा-3डी ( बैनामो पर रोक ) लागू होने के बाद बैनामा करके मुआवजा लिया गया। छह साल बाद इसका पता चलने पर प्रशासन ने अब गोल्डी गुप्ता, अरुण गुप्ता व अशोक सहकारी समिति के अन्य सदस्यों के खिलाफ थाना सिहानी गेट में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। समिति की जांच कराए बगैर मुआवजा बांटने वाले अफसर भी जांच के घेरे में आ सकते हैं।

एडीएम प्रशासन रितु सुहास ने बताया कि गोल्डी गुप्ता और अरुण गुप्ता ने फर्जी तथ्यों के आधार पर अशोक सहकारी समिति गठित की थी। वर्ष 1999 में इसका पंजीकरण निरस्त हो गया था। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया के तहत धारा-3डी लागू होने के बाद वर्ष 2016 में इस क्षेत्र में जमीनों की खरीद-फरोख्त पर रोक लग चुकी थी।

पंजीकरण निरस्त होने के बावजूद इस फर्जी सहकारी समिति के सदस्यों ने 3डी की कार्यवाही होने के बाद भी ग्राम मटियाला एवं रसूलपुर सिकरोडा में बैनामे किए और सरकार से जमीन का मुआवजा 22 करोड़ रुपये से ज्यादा ले लिया। प्रशासन ने समिति के दो पदाधिकारियों को नामजद कर अन्य सदस्यों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है।

कई और लोग भी हैं फर्जीवाड़े में शामिल
इस फर्जीवाड़े में और भी लोगों के शामिल होने की बात सामने आई है। इसकी जांच की जा रही है। इन गांवों की अधिग्रहीत की गई अन्य खसरा संख्या की जमीन की भी जांच की जा रही है। जल्द ही कई और लोगों के नाम घोटाले में सामने आ सकते हैं। यह घोटाला भी तत्कालीन डीएम विमल कुमार शर्मा के कार्यकाल में हुआ है।

लेखपाल से लेकर डीएम तक शामिल रहे थे घोटाले में
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के लिए अधिग्रहीत की गई जमीन का मुआवजा दिए जाने में बड़ा घोटाला पहले उजागर हो चुका है। तत्कालीन मंडलायुक्त प्रभात कुमार की जांच रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन लेखपाल, तत्कालीन एडीएम घनश्याम सिंह, तत्कालीन डीएम विमल शर्मा व निधि केसरवानी ने भी मुआवजा देने में बड़ा खेल किया था।

आर्बिट्रेशन ( मध्यस्थता ) में वाद की सुनवाई करते हुए उन्होंने अपने चहेतों को आठ से 10 गुना मुआवजा दिला दिया था। इस मामले में बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आईएएस अधिकारी निधि केसरवानी पर कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार को संस्तुति भेजी थी।

और भी हो सकते हैं खुलासे
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के जमीन अधिग्रहण में यह दूसरा घोटाला सामने आया है। इससे पहले 25 करोड़ का खेल पकड़ा जा चुका है। इनमें से सात करोड़ एडीएम के बेटे को मिले थे। और भी कई खुलासे हो सकते हैं। प्रशासन ने अधिग्रहण की सभी फाइलों को खंगालना शुरु कर दिया है। साथ ही, अधिग्रहण से पहले हुए बैनामे भी देखे जा रहे हैं।

ऐसी जानकारी है कि अफसरों के चहेते लोगों को पहले से जानकारी थी कि अधिग्रहण होगा। उन्होंने किसानों से औने-पौने दाम में जमीन ली। इसके बाद अधिग्रहण में जमीन देकर मोटा मुआवजा लिया। शासन ने इस पर अब सख्त रुख अपनाया है। उस दौरान तैनात रहे अफसरों की भूमिका की नए सिरे से पड़ताल हो सकती है। कई अधिकारी अब तक नप चुके हैं।