नई दिल्ली। कोरोना महामारी की दूसरी लहर न सिर्फ लोगों की जान ले रही है, बल्कि लाखों की जीविका भी छीन रही है। देश में बेरोजगारी दर तेजी से बढ़ रही है। दूसरी लहर के चलते पिछले महीने मई 2021 में बेरोजगारी दर 12 फीसदी हो गई। जबकि अप्रैल 2021 में यह आंकड़ा आठ फीसदी था। मई 2021 में 11 महीने बाद बेरोजगारी दर दोहरे अंकों में पहुंची। पिछले साल जून 2020 में यह 10.18 फीसदी पर थी। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल अप्रैल, मई और जून 2020 के अलावा जनवरी 2016 के बाद से किसी भी महीने में बेरोजगारी दर दोहरे अंकों में नहीं थी।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी महेश व्यास ने बताया कि शोध संस्थान के आकलन के अनुसार, इस दौरान करीब एक करोड़ भारतीयों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। रोजगार जाने का मुख्य कारण कोविड-9 संक्रमण की दूसरी लहर है। अर्थव्यवस्था में कामकाज सुचारू होने के साथ कुछ हद तक समस्या का समाधान हो जाने की उम्मीद है। लेकिन यह पूरी तरह से नहीं होगी।

खास बातें-
सीएमआई ने अप्रैल में 1.75 लाख परिवार का देशव्यापी सर्वे किया।
केवल तीन फीसदी परिवारों ने आय बढ़ने की बात कही।
30 मई को समाप्त हुए सप्ताह में 18 फीसदी के करीब पहुंची शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी दर। 
इस दौरान 9.58 फीसदी रही ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगार दर।
मई 2021 लगातार चौथा माह है, जब रोजगार में गिरावट दर्ज की गई है।
मई में बेरोजगारी दर 12 फीसदी रही। अप्रैल में बेरोजगारी दर आठ फीसदी थी।
मई 2020 में 23.5 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर थी बेरोजगारी दर। 
तीन से चार फीसदी बेरोजगारी दर को अर्थव्यवस्था के लिए सामान्य माना जाना चाहिए। 
11 महीने बाद बेरोजगारी दर दोहरे अंकों में पहुंची।
करीब एक करोड़ भारतीयों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा।

अप्रैल और मई में 227 लाख लोगों की नौकरी छूटी। व्यास के अनुसार, जिन लोगों की नौकरी गई है, उन्हें नया रोजगार तलाशने में दिक्कत हो रही है। असंगठित क्षेत्र में रोजगार तेजी से सृजित होते हैं, लेकिन संगठित क्षेत्र में अच्छी नौकरियों के आने में समय लगता है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल मई में कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण बेरोजगारी दर 23.5 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर तक चली गई थी। 

स्थिति ठीक होने में लगेगा समय 
कई विशेषज्ञों की राय है कि संक्रमण की दूसरी लहर चरम पर पहुंच चुकी है और अब राज्य धीरे-धीरे पाबंदियों में ढील देते हुए आर्थिक गतिविधियों की अनुमति देना शुरू करेंगे। व्यास ने आगे कहा कि तीन से चार फीसदी बेरोजगारी दर को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सामान्य माना जाना चाहिए। यह बताता है कि स्थिति ठीक होने में समय लग सकता है। उन्होंने कहा कि सीएमआई ने अप्रैल में 1.75 लाख परिवार का देशव्यापी सर्वे का काम पूरा किया। इससे पिछले एक साल के दौरान आय सृजन को लेकर चिंताजनक स्थिति सामने आई है। व्यास के अनुसार सर्वे में शामिल परिवार में से केवल तीन फीसदी ने आय बढ़ने की बात कही, जबकि 55 फीसदी ने कहा कि उनकी आमदनी कम हुई है। सर्वे में 42 फीसदी ने कहा कि उनकी आय पिछले साल के बराबर बनी हुई है। उन्होंने कहा, अगर महंगाई दर को समायोजित किया जाए, हमारा अनुमान है कि देश में 97 फीसदी परिवार की आय महामारी के दौरान कम हुई है।