खरखौदा। हापुड़ रोड पर पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी की ढाई वर्ष से अधिक से बंद पड़ी मीट फैक्टरी में तैनात सुरक्षाकर्मी आकाश ने अपने साथियों के साथ मिलकर सामान चोरी कर लिया। फैक्टरी में तैनात सुपरवाइजर हाजी मुमताज ने अन्य लोगों की मदद से चार आरोपियों को पकड़ लिया तथा तीन मौके से फरार हो गए। इस मामले में सुपरवाइजर ने लोहियानगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है।

हापुड़-मेरठ रोड स्थित गांव अल्लीपुर में बंद पड़ी पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी की (अल फहीम मिटेक्स प्राइवेट लिमिटेड )मीट फैक्टरी के सुपरवाइजर हाजी मुमताज निवासी अनूपगढ़ फाजलपुर थाना कंकरखेड़ा के अनुसार मंगलवार रात फैक्टरी में तैनात सुरक्षाकर्मी आकाश, रिफाकत अली कुछ लोगों के साथ मिलकर फैक्टरी से सामान चोरी कर रहे थे। जहां से लोहे का सरिया, मशीन के पार्ट्स, स्टील की 55 टेबल काटकर सहित काफी स्क्रैप का सामान छोटा हाथी में लाद लिया।

सुपरवाइजर के अनुसार अल्लीपुर निवासी एक व्यक्ति मेरठ से रात्रि में दूध डालकर लौट रहा था। उसने फैक्टरी के बंद पड़े बीच वाले गेट के सामने एक छोटा हाथी व एक स्कूटी को खड़ा देखा तो उसे शक हुआ। उसने तुरंत ही सुपरवाइजर को फोन किया। जब हाजी मुमताज अन्य लोगों के साथ वहां पहुंचा तो गाड़ी में फैक्टरी का सामान रखा देखा। मौका पाकर वहां से तीन आरोपी फरार हो गए। लेकिन भीड़ ने चार आरोपियों मोबिन निवासी जाहिदपुर, अकरम निवासी इस्लामाबाद सरधना, विकास उर्फ कास निवासी गुलपुर कश्मीर, गार्ड रिफाकत अली निवासी गुलपुर कश्मीर को को सामान सहित पकड़ लिया।

सुपरवाइजर की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने आरोपियों को हिरासत में लेते हुए सामान अपने कब्जे में ले लिया। इस मामले में सुपरवाइजर ने थाना पर तहरीर दी है। जिस पर पुलिस ने मामला दर्ज कर चारों आरोपियों को जेल भेज दिया है।

अवैध संचालन के तहत 31 मार्च 2022 को पुलिस प्रशासन की टीम ने फैक्टरी पर सील लगा दी थी। इस मामले में हाजी याकूब, उसके दोनों बेटे व पत्नी सहित 17 लोगों को नामजद किया गया था। बाद में पुलिस प्रशासन द्वारा हाजी याकूब व उसके दोनों बेटे पत्नी सहित साथ लोगों को गैंगस्टर के तहत भी निरुद्ध किया गया था। इस समय सभी जमानत पर जेल से बाहर हैं।

कंपनी के लीगल एडवाइजर धर्मेंद्र यादव के अनुसार जिस समय फैक्टरी पर सील लगाई गई, उस समय यह क्षेत्र खरखौदा थाना के अंतर्गत आता था। सील लगने के बाद फैक्टरी की सुरक्षा को लेकर पुलिस पिकेट भी तैनात की गई थी। पुलिस पिकेट की मौजूदगी में की फैक्टरी में छह बार बड़ी चोरियां हुई थीं। लेकिन अब फैक्टरी में कोई पुलिस पिकेट नहीं है।