मुजफ्फरनगर। चरथावल विधानसभा के नतीजों में पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक का चुनावी गणित भाजपा के केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान पर भारी पड़ा। जाट-मुस्लिम समीकरण के सामने भाजपा पिछड़ती चली गई। जाट बाहुल्य गांवों में रालोद के खेमे में खड़े जाटों ने खूब साइकिल चलाई, जिसकी बदौलत पंकज मलिक तीसरी बार विधायक बन गए।
चरथावल में इस बार सबसे नजदीकी अंतर से हार-जीत हुई। केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के गांव वाली सीट पर पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक के बेटे पंकज मलिक सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे। शुरूआत से ही मुकाबला बराबरी का माना जा रहा था। भाजपा के चुनाव का गणित जाट-मुस्लिम मतों के बंटवारे और अपने बेस वोट बैंक का मतदान प्रतिशत बढ़ाने पर टिका नजर आया। लेकिन पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक का गणित काम कर गया और जाट वोटों का निर्णायक बंटवारा नहीं हुआ। पंकज मलिक करीब दस साल बाद शामली से वापस मुजफ्फरनगर की राजनीति में लौटे थे, इस वजह से चुनाव उनके लिए महत्वपूर्ण था।
इसलिए चरथावल पर थी सबकी निगाह
– केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान और पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक के राजनीतिक कौशल पर सबकी नजर रही।
– विधायक पंकज मलिक पिछले 10 साल से शामली की राजनीति में थे, पहली बार चरथावल से चुनाव लड़े।
– कोरोना संक्रमण के कारण भाजपा के मंत्री विजय कश्यप का निधन हुआ, उनकी पत्नी चुनाव लड़ी।
– भाजपा ने पूर्व सांसद नरेंद्र कश्यप को टिकट दिए जाने का विरोध किया, बाद में टिकट बदला।
सिकंदरपुर से बढ़त मिली और सुजडू से जीत
विधायक पंकज मलिक को पहली बढ़त उच्च प्राथमिक विद्यालय सिकंदरपुर के कमरा नंबर एक से मिली। न्यामू गांव में कमरा नंबर तीन में साइकिल ने रफ्तार पकड़ी। क्यामपुर, कुटेसरा गांव में गठबंधन की खूब हवा बही। मुकाबला आखिर तरीक रोचक बना रहा। सुजड़ के वोट खुलने का सबको इंतजार था। पंकज मलिक ने यहीं पर निर्णायक बढ़त बनाकर जीत दर्ज की। मलिक को 10520 और भाजपा की सपना को 1516 वोट मिले। जबकि दोनों के बीच हार-जीत का अंतर 5334 वोट रहा।
पहले बूथ पर सपना और आखिरी पर पंकज जीता
चरथावल में कुल 363 बूथ है। भाजपा की सपना कश्यप ने विधानसभा के बूथ संख्या एक बलवाखेड़ी में 568 वोट हासिल किए और पंकज को 30 वोट मिले। बूथ संख्या 369 पर बिहारी के आखिरी बूथ पर पंकज को 688 और सपना को सिर्फ 87 वोट मिले।
भविष्य की राजनीति पर सबकी नजर
जिले में भविष्य की राजनीति दिलचस्प मोड़ ले सकती है। 2017 में भाजपा के छह विधायक थे, जबकि इस बार गठबंधन के चार और भाजपा के दो विधायक हैं। ऐसे में लोगों की नजर इस बात पर भी रहेगी कि समय-समय पर उठने वाले मुद्दों पर जिले में कौन क्या रुख अपनाता है।