मुजफ्फरनगर। जिला महिला अस्पताल से सीजेरियन ऑपरेशन के बाद रेफर की गई तीन महिलाओं की मौत के मामले की जांच शुरू हो गई है। सीडीओ संदीप भागिया और सीएमओ डॉ. महावीर सिंह फौजदार ने मंगलवार को महिला अस्पताल पहुंचकर मामले की जांच की। टीम को जांच के लिए पूरे कागज उपलब्ध नहीं हो सके है। इसी वजह से जांच जारी रहेगी।
डीएम चंद्रभूषण सिंह के निर्देश पर मंगलवार को सीडीओ और सीएमओ जांच के लिए पहुंचे। अधिकारियों ने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आभा आत्रेय से प्रकरण की जानकारी ली। अगस्त में प्रसव के लिए भर्ती की गई महिलाओं, प्रसव, ऑपरेशन और प्रसव के बाद की स्थिति के विषय में पूछा। ऑपरेशन के बाद कितनी महिलाओं की तबीयत बिगड़ी थी और उसके बाद क्या कदम उठाए गए, इसकी जांच की जा रही है। सीएमओ ने बताया कि जांच शुरू हो गई है। केस हिस्ट्री के लिए जरूरी कागजों की फोटोकॉपी मांगी गई है, जो मंगलवार को नहीं मिली है, इसी वजह से जांच जारी रहेगी।
सहारनपुर के देवबंद की टीचर कॉलोनी निवासी सुमित चौहान की पत्नी संगीता (34) को प्रसव पीड़ा के चलते 18 अगस्त को भर्ती कराया था। शाम छह बजे उनका ऑपरेशन हुआ। संगीता ने लड़के को जन्म दिया। रात दो बजे संगीता की हालत बिगड़ गई, जिसके बाद उसे रेफर कर दिया। पीड़ित परिवार सुबह करीब सवा पांच बजे महिला को लेकर ईवान हॉस्पिटल पहुंचा, जहां 19 अगस्त की सुबह संगीता की मौत हो गई।
मुजफ्फरनगर शहर के मल्हूपुरा निवासी कपड़े का काम करने वाले विशाल ने अपनी पत्नी सुहानी को प्रसव के लिए 18 अगस्त को जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया था। शाम करीब साढे़ छह बजे सीजेरियन ऑपरेशन से लड़का पैदा हुआ। 19 अगस्त की सुबह सुहानी को रेफर कर दिया गया। परिजन उसे लेकर ईवान हॉस्पिटल पहुंचे, जहां से मेरठ के लिए रेफर कर दिया गया। मेरठ में उपचार के दौरान 20 अगस्त को सुहानी की मौत हो गई थी।
मुजफ्फरनगर शहर के गंगारामपुरा निवासी शुभम राज ने 11 अगस्त को अपनी पत्नी मनीषा को प्रसव पीड़ा के चलते भर्ती कराया। शाम पांच बजे ऑपरेशन से स्वस्थ लड़की पैदा हुई। 12 अगस्त को मनीषा को तेज दर्द हुआ और ब्लीडिंग होने लगी। महिला अस्पताल से उसे मेरठ मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया गया। परिवार के लोग मेरठ के लिए लेकर चले, लेकिन टोल प्लाजा के पास पहुंचते ही महिला ने दम तोड़ दिया।
जिला महिला चिकित्सालय में 18 अगस्त से सीजेरियन डिलीवरी बंद कर दी गई थी। उपकरणों की जांच कराई गई। इसके बाद ड्रग इंस्पेक्टर पवन शाक्य ने करीब 25 दवाई और इंजेक्शन के सैंपल लिए थे, जिन्हें जांच के लिए गोरखपुर भेजा गया है। हालांकि बाद में ऑपरेशन शुरू कर दिए गए थे।