नई दिल्ली. क्या आपने ध्यान दिया है कि जब से मानसून की बारिश शुरू हुई है, आपके साथ या परिवार में किसी को गला बैठने, बलगम बनने या बुखार की समस्या बढ़ गई है. कईयों को समझ नहीं आ रहा होगा कि ऐसा क्यो हो रहा है. दरअसल इसकी वजह मौसम नहीं बल्कि आपका भोजन है. आर्युवेद के मुताबिक मौसम बदलते ही हमें अपने भोजन के तरीके में भी बदलाव कर लेना चाहिए. ऐसा न करने पर उस भोजन की तासीर बदल जाती है और वह फायदा देने के बजाय नुकसान करने लगता है.

आयुर्वेद दुनिया का सबसे पुराना प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान है. एलोपैथी में जहां यह बताया जाता है कि बीमार होने के बाद कौन सी दवा लें. वहीं आयुर्वेद में इस बात का ज्ञान है कि बीमार न होने के लिए किस विधि या औषधि का इस्तेमाल करें. इस हिसाब से आयुर्वेद हमें शरीर को फिट रखने और इलाज के तरीके बताता है. आयुर्वेद में कहा गया है कि कहता है कि मानसून के दौरान पेट की पाचक अग्नि कमजोर पड़ जाती है. ऐसे में हमें अपने भोजन के तरीकों में बदलाव कर ऐसी चीजें खानी चाहिए, जो हमारे शरीर में गरमाहट दें और पाचन क्रिया में मदद करें.

बारिश में खट्टी-चिकनी खाने से करें परहेज
यही वजह है कि मानसून में दही, अचार या दूसरी खट्टी चीजें खाने की मनाही होती है. इसी तरह चिकनाई वाली चीजों से भी बचने को कहा जाता है. ये सभी चीजें मानसून के दौरान बलगम बनाती हैं, जिससे खांसी पैदा होती है. साथ ही ये सब चीजें आसानी से पच नहीं पाती. बारिश के दिनों में इन चीजों के सेवन से गला खराब होने, आवाज फटनेस, पेट की गड़बड़ी और बुखार की समस्या बढ़ जाती है. इसलिए आयुर्वेद (Ayurveda) में मानसून के दौरान इनसे बचने के लिए कहा जाता है.

गरम मसालों का ज्यादा करें प्रयोग
आयुर्वेद में कहा गया है कि बारिश के दिनों में शरीर को गरम रखने के लिए अदरक, सोंठ, हींग, काली मिर्च और गेहूं का सेवन करना चाहिए. मानसून में शरीर के दोष को दूर करने के लिए नमकीन और मीठी चीजें खानी चाहिए. यही वजह है कि इन दिनों में घी और गेहूं के आटे से बने मीठे पूड़े खूब खाए जाते हैं. इन दोनों की तासीर गरम मानी जाती है, जिससे शरीर के अंदरुनी हिस्सों को गरम रखने में मदद मिलती है.

अदरक, लौंग, इलायची का सेवन सही
मानसून के दौरान कई तीज-त्योहार आते हैं, जिनमें बनने वाली मिठाइयों में आयुर्वेद के सिद्धांतों का ध्यान रखा जाता है. इस दौरान बनने वाली मिठाइयों और लड्डुओं में मखाना, चिरौंजी, खरबूज के बीज, नारियल और कमल के बीजों का इस्तेमाल किया जाता है. इस मौसम में पड़ने वाली जन्माष्टमी में तमाम बीजों से तैयार मिठाई और प्रसाद खूब पसंद किए जाते हैं. इन दिनों में अदरक, लौंग समेत दूसरे गरम मसालों का सेवन भी बढ़ा दिया जाता है, जिससे हमारे शरीर को बारिश के मौसम में भी भरपूर पोषण मिलता रहे.