मेरठ. मेरठ में मंत्री दिनेश खटीक के हस्तक्षेप के बाद पुलिस वालों और क्रास में टेंट कारोबारी पर मुकदमा लिखा गया, लेकिन दूसरे दिन दोनों बैकपुट पर आ गए। दोनों ही समझौते के लिए एसएसपी प्रभाकर चौधरी के पास पहुंच गए। समझौते के बात कही और शपथ पत्र देने को कहा। एसएसपी ने शपथ पत्र लेने से इनकार कर दिया। मामले की जांच निष्पक्ष करने का आश्वासन देकर उन्हें लौटा दिया। एसएसपी ने दोनों मुकदमों की जांच सीओ सदर देहात को सौंपी है। सीओ ने जांच शुरू कर दी है। दोनों पक्षों केेे बयान के लिए बुलाया है।

एसएसपी ने दोनों पक्षों से कहा है कि मामले की जांच होगी। थाना स्तर से समझौता नहीं होगा। सीओ सदर देहात पूनम सिरोही का कहना कि दोनों मुकदमे की जांच के लिए दोनों पक्षों और स्थानीय लोगों के भी बयान होंगे। जल्द ही विवेचना की कार्रवाई शुरू होगी।

पुलिस की प्राथमिक जांच में सामने आया कि दोनों तरफ से मुकदमों में जो धारा लगी है, वह सही नहीं है। पुलिस अधिकारी भी इसको जानते है। सवाल है कि दोनों मुकदमों का अंजाम क्या होगा। इसको लेकर पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे है कि अगर गंभीर अपराध हुआ तो मुकदमा दर्ज करने में पांच दिन क्यों लगा दिए। टैंट कारोबारी ने जाति सूचक शब्द कहकर मारपीट करने, लूट और तोड़फोड़ का आरोप लगाया तो पुलिस वालों ने भी मारपीट के साथ लूटपाट करने का आरोप लगाया।

चार जून को टेंट कारोबारी कोमल और उसके भाई बिरजू का पुलिसकर्मी आकाश और विकास से विवाद हुआ था। एफआईआर दर्ज न होने पर राज्यमंत्री दिनेश खटीक गुरुवार रात गंगानगर थाने पहुंच गए थे, जहां इंस्पेक्टर गंगानगर राजपाल सिंह और मंत्री की तीखी झड़प हुई थी। ये मामला हाईप्रोफाइल होने के कारण लखनऊ तक गूंजा। मंत्री के हस्तक्षेप के बाद गंगानगर थाने में दोनों पुलिसवालों पर मारपीट, तोड़फोड़, लूटपाट और एससी-एसटी एक्ट की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस वालों की तरफ से भी टेंट कारोबारी कोमल पर मारपीट, डकैती आदि की धाराओं में रिपोर्ट लिखी गई।

हाईप्रोफाइल मामला होते ही मेरठ में अधिकतर थानेदार छुट्टी चले जाते है। इसे इत्तेफाक कहेंगे या विवादों से बचने का तरीका। मेरठ में ऐसा एक बार नहीं, चार बार हो चुका है। जब-जब मामला हाईप्रोफाइल लोगों से जुड़ा तो संबंधित थानेदार छुट्टी लेकर चले जाते हैं। इसे लेकर पुलिस महकमे में चर्चा है।

विधानसभा चुनाव के दौरान सरधना में पीठासीन अधिकारी के साथ पूर्व विधायक ने मारपीट की थी। मुकदमा सरधना में दर्ज हो गया। मामला लखनऊ तक गूंजा तो अगले दिन इंस्पेक्टर सरधना लक्ष्मण वर्मा छुट्टी पर चले गए। 31 मार्च को हापुड़ रोड पर पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी की फैक्टरी चलती पकड़ी गई। खरखौदा में याकूब और उनकी पत्नी संजीदा बेगम, बेटे इमरान और फिरोज समेत 17 लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ। यह मामला लखनऊ तक पहुंचा तो इंस्पेक्टर खरखौदा दिनेश उपाध्याय लंबी छुट्टी पर चले गए।

मुकदमे की विवेचना इंस्पेक्टर किठौर को सौंपी गई। कोर्ट में पुलिस व याकूब के परिवार की अर्जी चल रही थी, तभी इंस्पेक्टर किठौर भी छुट्टी पर चले गए। अब मंत्री दिनेश खटीक गंगानगर थाने पहुंचे और एफआईआर न करने पर भड़क गए। इंस्पेक्टर और मंत्री के बीच बहस हुई। यह मामला भी अब लखनऊ तक गूंजा हुआ है। भाजपा नेताओं और विपक्ष भी इसको लेकर चर्चा कर रहा है। दोनों तरफ से मुकदमा दर्ज करने के बाद इंस्पेक्टर गंगानगर राजपाल सिंह भी छुट्टी पर चले गए।