मुजफ्फरनगर। महात्मा टिकैत के नाम से दुनिया में विख्यात हुए चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत किसानों को हक के लिए लड़ना सिखा गए। टिकैत के आंदोलनों की ताकत के आगे लखनऊ से दिल्ली तक सरकारें झुक जाती थीं। तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन में किसान बाबा टिकैत के तौर-तरीकों से ही ताकत जुटा रहे हैं। टिकैत हिंसा के खिलाफ थे। किसानों की नब्ज की गहरी समझ उनकी असली ताकत थी। किसानों के इस महानायक की जयंती पर बुधवार को सिसौली में श्रद्धांजलि सभा होगी।
बालियान खाप के मुखिया चौहल सिंह टिकैत और माता मुख्त्यारी देवी के यहां छह अक्तूबर 1935 को सिसौली में महेंद्र सिंह का जन्म हुआ था। पिता के निधन के बाद उन्हें अल्प आयु में ही बालियान खाप की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी। किसानों के लिए किए संघर्षों की वजह से ही उन्हें बाबा टिकैत और महात्मा टिकैत भी कहा गया। टिकैत ने 1950 से 2010 तक सर्वखाप की कई महापंचायतों में सामाजिक कुरीतियों नशाखोरी, भ्रूण हत्या, मृत्यु भोज और दहेज प्रथा पर के खिलाफ अभियान चलाया।
टिकैत की सादगी और ठेठ देहाती अंदाज सबका दिल जीत लेता था। देश-विदेश में कंधे पर चादर, पैरों में हवाई चप्पल और सिर पर टोपी ने बाबा को खास पहचान दी। हुक्का जीवनभर उनका साथी रहा। एक बार कर्नाटक में किसानों के आंदोलन में हवाई जहाज से जाते वक्त अधिकारियों ने हुक्का ले जाने से रोक दिया। तब बाबा ने अपने अंदाज में कहा देहाती अंदाज में कहा, हुक्का ना जा तो मैं भी ना जाऊं। तब एक घंटे बाद एयरपोर्ट प्रबंधन को हुक्का ले जाने की मंजूरी देनी पड़ी थी। बाबा संजीदा और सरल स्वभाव के थे। उनकी बेबाकी और साफगोई के सब कायल थे। उनकी एक आवाज पर महापंचायतों और धरना-प्रदर्शनों में किसानों का सैलाब उमड़ता था। बाबा के आंदोलनों की गूंज पर देश-प्रदेश की सरकारें कई बार झुकीं और किसानों की दिक्कतें हल हुईं। आज भी उनकी स्मृतियां अनमोल धरोहर है। 14 मई 2011 को बाबा दुनिया को अलविदा कह गए।
सिसौली से दिल्ली तक चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का कारवां 25 अक्तूबर 1988 को दिल्ली में वोट क्लब की तरफ कूच कर गया। लोनी बॉर्डर पर पुलिस ने आंसू गैस और फायरिंग कर दी। दो किसानों की मौत से आक्रोश भड़क गया। 14 राज्यों के कई लाख किसान ट्रैक्टर लेकर इंडिया गेट तक पहुंच गए। पूरी दिल्ली जाम कर दी गई। पुलिस का 30 अक्तूबर का लाठीचार्ज भी किसानों को नहीं डिगा सका। आखिर 31 अक्तूबर को सरकार झुकी और कमेटी गठित कर किसानों की अधिकांश मांगे मान ली गईं।
-एक मार्च 1987 को करमूखेड़ी बिजलीघर पर आंदोलन
-27 जनवरी 1988 से मेरठ में 25 दिन का विशाल धरना
-6 मार्च 1988 से रजबपुर मुरादाबाद में 110 दिवसीय धरना
-25 अक्तूबर 1988 से 31 अक्तूबर तक वोट क्लब दिल्ली में धरना
-3 अगस्त 1986 को नईमा कांड में भोपा नहर पर 39 दिवसीय धरना
सिसौली के किसान भवन में बुधवार को किसान मसीहा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का 86 वां जन्म दिवस लखीमपुर में मारे गए किसानों को श्रद्धांजलि देते हुए मनाया जाएगा। सिसौली में एक कबड्डी टूर्नामेंट भी होगा।
भाकियू संस्थापक चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का जन्मदिवस पहले किसान जागृति दिवस के रूप में मनाया जाता था। लखीमपुर खीरी में किसानों की मृत्यु के कारण इस बार किसानों को श्रद्धांजलि देते हुए किसान श्रद्धांजलि सभा के रूप में मनाया जाएगा। इस दौरान बुधवार सुबह सुबह 9:00 बजे किसानों की आत्मा की शांति के लिए हवन किया जाएगा। बाद में दोपहर को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा।गौरव टिकैत ने बताया कि चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के जन्मदिवस पर रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ-साथ अनेकों राजनीतिक दल व कई सामाजिक संगठनों के लोग भी शामिल होंगे। भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत और रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी सिसौली में कबड्डी टूर्नामेंट का उद्घाटन भी करेंगे। सुबह 11:30 बजे। कबड्डी टूर्नामेंट में भारतीय थल सेना, नौसेना, आइटीबीपी, बीएसएफ और नॉर्थन रेलवे ,गोरखपुर रेलवे व हरियाणा एकेडमी समेत 25 टीमें हिस्सा लेंगी। यहां 40-50 राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी पहुंचेगे। टूर्नामेंट आठ अक्तूबर तक चलेगा। जिसका आयोजन पुष्पेंद्र उर्फ काला पटवारी, बबलू प्रधान, बिटटू लोदी, साहब सिंह, अंकुर आखि ,बृजेश आखि,व वंशज बालियान समेत कमेटी सदस्य कर रहे हैं।
रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने सिसौली श्रद्धांजलि सभा में पहुंचने के लिए के लिये बदलाव किया है। जयंत चौधरी कार द्वारा श्रद्धांजलि सभा में सिसौली पहुंचेंगे। पहले उनका कार्यक्रम हेलीकॉप्टर के द्वारा सिसौली में पहुंचने का था।