मुजफ्फरनगर। प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा सरकार पर दबाव बनाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने रणनीति तैयार कर ली है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 30 नवंबर तक 19 महापंचायत होगी। किसान आंदोलन को मोर्चा ने जनांदोलन में बदलने की तैयारी कर ली है। सरकार से नाराज संगठनों, कर्मचारियों और विपक्ष को एक मंच पर लाने की मुहिम तेज हो गई है।
खाप पंचायतों के गढ़ से रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा मिशन यूपी की शुरूआत करेगा। केंद्र सरकार को घेरने के लिए आंदोलन को विस्तृत रूप दिया जाएगा। यही नहीं अब यूपी और उत्तराखंड में महापंचायतों का दौर शुरू होगा। मोर्चा के रणनीतिकारों में शामिल युद्धवीर सिंह बताते हैं कि मुजफ्फरनगर से शुरूआत हो गई है। अब सूबे के प्रत्येक मंडल में महापंचायत होगी। इसके साथ ही उत्तराखंड के कुमायूं और गढ़वाल मंडल में मोर्चा ने महापंचायतों की तैयारी कर ली है। दोनों प्रदेशों में 30 नवंबर तक पंचायतें होगी। मोर्चा के उत्तराखंड प्रभारी जगतार सिंह बाजवा कहते हैं कि तैयारियां शुरू हो गई है। दोनों मंडलों में इसी महीने महापंचायत की योजना है। अब आंदोलन से किसान पीछे हटने वाले नहीं हैं।
पिछले नौ महीने से दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों ने मोर्चा खोल रखा है। अब मुद्दा सिर्फ किसानों का नहीं रहेगा। इसे जन आंदोलन बनाने की तैयारी है। निजीकरण से नाराज कर्मचारी संगठनों, बेरोजगार युवाओं, सामाजिक संगठनों और व्यापारियों को जोड़कर एक मंच पर लाया जाएगा। आंदोलन को और तेज करने की तैयारी है, जिसकी शुरूआत रविवार को मुजफ्फरनगर से होगी।
किसान नेता युद्धवीर सिंह बताते हैं कि सरकारी मंडियों को सरकार घाटे में दिखाकर बंद कर देगी और प्राइवेट मंडियां शुरू हो जाएगी। इससे व्यापारी और किसान दोनों को नुकसान है। साथ में मंडियों के सहारे रोजगार पाने वाले लोग भी बेरोजगार हो जाएंगे। मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश में मंडियों की हालत ठीक नहीं है। गुजरात में 22 मंडियां बंद हो चुकी हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य बलदेव सिंह सिरसा कहते हैं कि सरकार तेजी से सरकारी संस्थाओं का निजीकरण कर रही है। इससे युवाओं को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। रेलवे के निजीकरण का बोझ आम आदमी पर सबसे अधिक पड़ेगा। प्रत्येक वर्ग को किसानों की दर्द समझकर एक हो जाना चाहिए। आजादी के बाद का यह सबसे बड़ा आंदोलन है।
कर्नाटक राज्य रैयत संघ कोर कमेटी की सदस्य चुक्की नंजूदा स्वामी ने कहा कि महिलाओं को आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभानी होगी। आंदोलन लंबा खिंचेगा, अब महिलाओं को सड़कों पर उतरने के लिए तैयार रहना होगा।