सोलन. हिमाचल प्रदेश के सोलन में एक ऐसा रहस्यमयी शिव मंदिर है . जिसको लेकर कहा जाता है कि यहां के पत्थरों को अगर लोग छूते है तो डमरू की आवाज सुनाई देती है.
सावन का महीना चल रहा है और इस महीने का शिवभक्तों में ना सिर्फ बेहद ज्यादा महत्व है बल्कि मान्यता है कि सावन में शिव की आराधना से ना सिर्फ सारे पापों का नाश होता, शिव का आशीर्वाद भी मिलता है. आज आपको हिमालय की गोद में बसे एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताएंगे जहां भोलेनाथ की अद्भुत महिला दिखती है. इस रहस्यमयी मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यहां के पत्थरों को अगर छू लोगे तो डमरू की आवाज सुनाई देगी. मंदिर को एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर भी माना जाता है. यहां सिर्फ देसी ही नहीं बल्कि विदेशों से भी भक्तों की बड़ी संख्या बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए आती है.
हिमाचल प्रदेश के सोलन में स्थित शिव के धाम जटोली शिव मंदिर को लेकर श्रद्धालुओं में बड़ी मान्यता है. इस मंदिर की ऊंचाई करीब 111 फीट बताई जाती है.
दक्षिण भारतीय वास्तुशैली के हिसाब से निर्मित ये मंदिर भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है. सबसे खास बात यहां पत्थरों को छूने पर डमरू की ध्वनि का सुनाई देना है. इसलिए इस मंदिर को चमत्कारिक माना जाता है.
भगवान शिव के इस विशाल मंदिर के परिसर में तमाम देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं. मंदिर के भीतर स्फटिक का शिवलिंग विराजमान है. साथ ही यहां मां पार्वती की भी प्रतिमा स्थापित है.
भक्तों में मान्यता है कि पौराणिक काल में भगवान भोलेनाथ यहां कुछ वक्त के लिए प्रवास कर चुके हैं. साल 1950 में स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने यहां जटोली के शिव मंदिर की निर्माण की शुरुआत की थी. काफी वक्त लगा और साल 1974 में यहां नींव रखी गई और संत परमहंस ने 1983 में इसी मंदिर परिसर में समाधि ले ली थी.