मेरठ। सपा में मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट पर टिकट को लेकर देर रात तक चले घमासान पर गुरुवार को विराम लग गया। इस सीट से अब भाजपा प्रत्याशी अरुण गोविल का मुकाबला सुनीता वर्मा से होगा। समाजवादी पार्टी ने विधायक अतुल प्रधान का टिकट काटकर सुनीता वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। उन्होंने जिला पंचायत सदस्य बनकर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी।
इससे पहले मेरठ में बुधवार को अतुल प्रधान ने नामांकन पत्र दाखिल करते हुए कहा था कि मैं हमेशा जनता के बीच रहता हूं। भाजपा ने जिस उम्मीदवार को मेरठ-हापुड़ सीट से उतारा है, इससे ज्यादा मेरठ की जनता का मजाक नहीं हो सकता। वहीं गुरुवार को टिकट कटने पर उन्होंने कहा कि पार्टी हाईकमान का निर्णय होगा, उसका सम्मान करूंगा।
हस्तिनापुर के पूर्व विधायक योगेश वर्मा ने कहा कि पत्नी सुनीता वर्मा पर भरोसा जताया है। लखनऊ से सिंबल लेकर मेरठ लौटे हैं। आज नामांकन कराएंगे और मजबूती से चुनाव लड़ेंगे। महापौर चुनाव में सुनीता ने भाजपा को हराया था और इस बार लोकसभा चुनाव भी हराएंगे। करीब डेढ़ दशक पहले जिला पंचायत सदस्य बनकर राजनीति में कदम रखने वालीं सुनीता वर्मा नगर निगम के इतिहास में पहली दलित मेयर बनी थीं। प्रदेश की सत्ता पर काबिज भाजपा से मेयर की सीट छीन ली थी।
उनके पति योगेश वर्मा 2007 में बसपा के टिकट पर हस्तिनापुर सीट से विधायक बने थे। 2012 में बसपा से टिकट कटा तो योगेश बगापत में पीस पार्टी से मैदान में कूद पड़े। उन्हें प्रभुदयाल वाल्मीकि से हार का सामना करना पड़ा। 2017 में सुनीता वर्मा मेरठ शहर से महापौर चुनी गईं।