नई दिल्ली। भारत में एक बार फिर स्वाइन फ्लू के मामले बढ़ते दिख रहे हैं। झारखंड, दिल्ली, माहाराष्ट्र, केरल, मिज़ोरम जैसे राज्यों में स्वाइन फ्लू के कई मामले पिछले एक महीने में सामने आए हैं। ज़्यादातर लोग इसे कोविड मानकर जांच कराने अस्पताल पहुंच रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि क्योंकि स्वाइन फ्लू और कोविड के लक्षण एक तरह के हैं इसलिए लोगों में इसे लेकर कंफ्यूज़न है।

हालांकि, यह चिंता की बात भी है, क्योंकि मरीज़ कोविड के लक्षण लेकर पहुंच रहे हैं और टेस्ट में नेगेटिव आने पर उन्हें वापस भेज दिया जा रहा है। इसलिए कोविड-19 टेस्ट में अगर नेगेटिव आता है, तो मरीज़ का H1N1 टेस्ट भी किया जाना चाहिए।

मायो क्लीनिक के अनुसार, H1N1 फ्लू को स्वाइन फ्लू के नाम से जाना जाता है, जो इंफ्लूएंज़ा के H1N1 स्ट्रेन की वजह से होता है। H1N1 एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा-ए वायरस है, और H1N1 कई फ्लू वायरस वेरिएंट्स में से एक है, जो मौसमी फ्लू का कारण बन सकता है।

हेल्थलाइन के अनुसार, स्वाइन फ्लू इंफ्लूएंज़ा वायरस के एक स्ट्रेन की वजह से होता है, जो आमतौर पर सुअरों को संक्रमित करता है। टाइफस के विपरीत, यह वायरल संक्रमण जूं या टिक्स द्वारा फैल सकता है। यह आमतौर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में होता है न कि जानवर से मनुष्य में।

– छींकने से

– खांसने से

– दूषित सतह को छूना और फिर उन्हीं हाथों से आंखों या नाक को छूना

विशेष रूप से, जो लोग इससे संक्रमित होते हैं, वे लक्षण महसूस करने से पहले ही दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं। साथ ही बीमार होने के 7 दिन बाद तक इसे फैला सकते हैं। वहीं, बच्चे 10 दिनों तक संक्रामक हो सकते हैं।

स्वाइन फ्लू के लक्षण
स्वाइन फ्लू के लक्षण मौसमी फ्लू की तरह के ही होत हैं।

-खांसी

– बुखार

– गले में खराश

– नाक का बहना या बंद होना

– बदन दर्द

– सिर दर्द

– ठंड लगना

– थकान

स्वाइन फ्लू से संक्रमित होने पर ज़रूरी नहीं कि आपको ऊपर बताए गए लक्षण ही महसूस हों। यह संक्रमण ज़्यादा गंभीर भी हो सकता है, जिसमें लक्षण निमोनिया, फेफड़ों का इन्फेक्शन और दूसरी सांस लेने से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं। अगर मरीज़ पहले से डायबिटीज़ या अस्थमा का मरीज़ है, तो उसकी मुश्किलें ज़्यादा बढ़ सकती हैं। अगर आप सांस लेने में तकलीफ, भयानक उल्टी, पेट में तेज़ दर्द, चक्कर आना जैसे लक्षण महसूस हों तो फौरन डॉक्टर के पास जाएं।