ट्रेन से सफर करने वाले वेटिंग टिकट के बारे में जरूर जानते होंगे. भारतीय रेलवे सीटों के भर जाने के बाद भी कुछ 200-300 टिकट वेटिंग के लिए जारी करता है. हालांकि, रेलवे वेटिंग टिकट की संख्या किस आधार पर तय करता है इसके बारे में कोई पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है. बहरहाल वेटिंग टिकट कई तरह की होती हैं. आज हम जिन 2 टाइप की वेटिंग टिकट की बात करेंगे वह जनरल और तत्काल वेटिंग टिकट हैं.
जब आप कहीं यात्रा से 15-20 दिन पहले टिकट बुक कराते हैं और वह वेटिंग में आ जाती है तो टिकट पर आपको GNWL लिखा नजर आएगा. इसका मतलब है कि आपकी टिकट जनरल वेटिंग लिस्ट में है. अगर GNWL25 है तो आपसे पहले 24 लोग और हैं जिनका वेटिंग लिस्ट में नाम है. जब उनकी टिकट कंफर्म हो जाएगी तब आपका नंबर आएगा. इसी तरह जब आप तत्काल में टिकट बुक करते हैं और वह वेटिंग लिस्ट में आ जाए तो टिकट पर TQWL लिखा दिखेगा.
वेटिंग लिस्ट में सबसे पहली तवज्जो जनरल वेटिंग टिकट को ही दी जाती है. इसलिए पहले जनरल वेटिंग टिकट ही कंफर्म होगी. तत्काल में वेटिंग मिलने का मतलब है कि आपकी टिकट के कंफर्म होने की संभावना बहुत कम है. अगर ऑनलाइन बुक कराई गई तत्काल टिकट में वेटिंग मिल जाए और चार्ट बनने तक वह कंफर्म न हो तो टिकट ऑटोमेटिकली कैंसिल हो जाएगी. यानी आप ऑनलाइन तत्काल की वेटिंग टिकट लेकर ट्रेन में यात्रा नहीं कर सकते हैं. स्टेशन के लिए घर से निकलने से पहले इस बात को ध्यान रखें कि अगर टिकट कंफर्म नहीं हुई तो आपको वापस लौटना होगा.
GNWL- इसके कंफर्म होने चांस सर्वाधिक हैं
TQWL- इस टिकट के कंफर्म होने की संभावना बहुत कम होती है.
PQWL- पूल्ड कोटा वेटिंग लिस्ट. ये उन यात्रियों को मिलती है जो शुरुआती और अंतिम स्टेशन के बीच में चढ़ने-उतरने वाले होते हैं.
RLWL– रिमोट लोकेशन वेटिंग लिस्ट. दूर-दराज के इलाकों से पकड़ने वालों को यह वेटिंग मिलती है.
RSWL– ऐसी वेटलिस्ट जो ट्रेन के शुरुआत वाले स्टेशन से मिलती है उसे रोड साइट वेटलिस्ट कहा जाता है.
RAC- रिजर्वेशन अंगेस्ट कैंसिलेशन. इसमें बैठने के लिए सीट मिलती है लेकिन पूरा बर्थ नहीं. हालांकि, जनरल वेटिंग लिस्ट से पहले इन्हें पूरी सीट दी जाती है.