
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से डेढ़ साल के लिए नए कृषि कानूनों के अमल पर स्थगन के प्रस्ताव से गतिरोध खत्म होने की जो आशा जगी थी, किसान संगठनों ने उस पर पानी फेर दिया है। सरकार के साथ आज किसानों की 12 बजे 11वें दौर की बैठक है. बैठक से पहले किसान नेताओं का कहना है कि वो अपना आंदोलन जारी रखेंगे और कानून वापस होने से पहले नहीं हटेंगे. किसान अब भी दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालने पर अड़े हैं. शुक्रवार को पहले किसान संगठनों और सरकार के बीच बैठक होगी और उसके बाद पुलिस-किसानों के बीच ट्रैक्टर रैली को लेकर बैठक होगी।
किसान मजदूर संघर्ष कमिटी के एसएस पंढेर ने कहा- आज की मीटिंग में हम एमएसपी कानून बनाने और तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग रखेंगे. ट्रैक्टर परेड को लेकर पुलिस और किसानों के बीच हुई गुरुवार को तीसरे राउंड की बैठक भी बेनतीजा रही, दरअसल किसान चाहते हैं कि ट्रैक्टर रैली 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली के अंदर आउटर रिंग रोड पर हो, जबकि पुलिस का कहना है कि आप ट्रैक्टर रैली दिल्ली के अंदर ना करके कहीं बाहर कर ले. पुलिस ने रैली के लिए KMP के रास्ते का सुझाव दिया है लेकिन पुलिस के इस सुझाव को किसान मानने को तैयार नहीं है. किसान अपनी बात पर अड़े हुए हैं, किसान नेता योगेंद्र यादव ने साफ किया कि रैली 26 जनवरी को दिल्ली के अंदर ही होगी.
किसानों के आंदोलन और गणतंत्र दिवस ट्रैक्टर रैली निकालने की उनकी योजना के मद्देनजर हरियाणा पुलिस ने अपने कर्मियों की छुट्टियां अगले आदेश तक निरस्त करने का निर्णय लिया है. पुलिस कर्मियों के अवकाश निरस्त करने का आदेश गुरुवार को जारी किया गया. केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों ने 26 जनवरी को दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर रैली निकालने की योजना बनाई है.
खुदरा व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा, दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में किसानों के आंदोलन से व्यापारियों को लगभग 50 हजार करोड़ रुपये के काराबार का नुकसान हुआ है. कैट ने कहा है कि प्रस्तावित संयुक्त समिति में व्यापारियों को भी रखा जाए, क्योंकि नए कृषि कानूनों से व्यापारियों के हित भी जुड़े हैं.
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