सहारनपुर. शिवालिक की पहाड़ियों में हुई तेज बारिश के बाद सिद्धपीठ शाकंभरी देवी में शनिवार की तड़के अचानक बाढ़ आ गई। इससे शाकंभरी खोल में खड़े टैंपू, कार और अन्य वाहन बह कर आगे निकल गए। पानी उतरने पर यह वाहन रेत में धंसे मिले, जिन्हें ट्रैक्टरों की मदद से बाहर निकाला गया। हालांकि गनीमत रही कि सभी श्रद्धालु सुरक्षित रहे।
एक सप्ताह से सिद्धपीठ में पद यात्रियों की भारी भीड़ उमड़ रही है। शुक्रवार को भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ सिद्धपीठ पहुंची थी, हालांकि देर रात तक ज्यादातर श्रद्धालु लौट गए थे। देर शाम जो श्रद्धालु सिद्ध पीठ में पहुंचे वे अपने वाहनों को खोल में खड़े करके आश्रमों और धर्मशालाओं में रुक गए थे।
सिद्ध पीठ में रुके श्रद्धालुओं और दुकानदारों के अनुसार शुक्रवार की रात एक बजे बारिश शुरू हुई थी जो कई घंटे तक लगातार हुई। तड़के चार बजे अचानक तेज आवाज के साथ शाकंभरी खोल में पानी का बहाव आ गया। श्रद्धालु कुछ समझ पाते इससे पहले ही खोल में खड़े उनके वाहन पानी में बहने लगे।
वहीं दुकानदारों ने अपने पूर्व के अनुभवों से सीख लेते हुए रात में बारिश शुरू होने के बाद अपना सामान समेट लिया था, जिससे उनका नुकसान होने से बच गया। हालांकि पानी ने दुकानों के पास तक कटाव किया है। सुबह छह बजे के आसपास पानी कम होने पर श्रद्धालुओं ने अपने वाहन खोजे जो कुछ दूरी पर रेत में धंसे हुए मिल गए। इसके बाद ट्रैक्टरों की मदद से काफी मशक्कत से इन्हें बाहर निकाला जा सका।
मुजफ्फरनगर के फुगाना का अंग्रेज पुत्र महिपाल अपने छह साथियों कल्लू, संदीप, हरिओम, महेंद्र, मनोज, भानु के साथ टैंपू से शाकंभरी देवी आया था। अंग्रेज ने बताया कि रात होने के कारण वह टैंपू खोल में खड़ा करके उसमें सो गया, जबकि उसके साथी धर्मशाला में चले गए। पानी का सैलाब आया तो वह टैंपू सहित बहने लगा। नींद खुली तो देखा कि उसके चारो तरफ पानी का भयंकर सैलाब था और टेंपू बह रहा था। उसे कुछ नहीं सूझा और वह टेंपू की छत पर चढ़ गया। उसने मां का जाप करना शुरू किया। उसका टैंपू बहता बहता हुआ शंकराचार्य आश्रम के पास पहुंचकर धंस गया।
विज्ञापन
इस दौरान वह पानी के बहाव में बह गया। उसने प्रयास किया और कुछ दूरी पर जाकर वह बाहर निकाला गया। दिन निकलने पर उसने मंदिर में माता के सामने मत्था टेक जीवन रक्षा के लिए धन्यवाद दिया। हालांकि इस हादसे में उसका टैंपू क्षतिग्रस्त हो गया।