मुजफ्फरनगर। रामपुर तिराहा कांड में आखिरकार फैसले की घड़ी आ चुकी है। तीन दशक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद इंसाफ मिलने की उम्मीद जगी है। सीबीआई बनाम मिलाप सिंह की पत्रावली में सुनवाई पूरी हो गई। अदालत ने फैसले के लिए 15 मार्च की तिथि तय कर दी है।
पीड़िताओं के साथ छेड़खानी और दुष्कर्म का आरोप है। शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजीव शर्मा, सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी परवेंद्र सिंह और उत्तराखंड संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा ने बताया कि शुक्रवार को मिलाप सिंह पत्रावली में सुनवाई पूरी हो गई। आरोपी गाजियाबाद पीएसी में तैनात थे। आंदोलनकारियों को रोकने के लिए उनकी ड्यूटी रामपुर तिराहा पर लगाई गई थी।
सीबीआई ने 22 गवाह पेश किए गए। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय संख्या-सात के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह ने सुनवाई की। अदालत ने फैसले के लिए 15 मार्च की तिथि तय कर दी है। दोनों आरोपियों पर पीड़िताओं के साथ छेड़छाड़ और दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज है।
एक अक्तूबर 1994 को अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। रात में रामपुर तिराहा पर पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोकने का प्रयास किया। आंदोलनकारी नहीं माने तो पुलिसकर्मियों ने फायरिंग कर दी, जिसमें सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने मामले की जांच के बाद पुलिसकर्मियों पर मुकदमे दर्ज कराए थे। चार पत्रावलियों पर मुजफ्फरनगर में सुनवाई चल रही है।