मेरठ। लोकसभा चुनाव से पहले वेस्ट यूपी की राजनीति जातीय रूप लेती जा रही है। जाट अपने लिए आरक्षण मांग रहे हैं। त्यागी बिरादरी अलग पार्टी बना चुकी है, उनका ऐलान है, जो हमें टिकट देगा उसे त्यागी वोट देगा।

गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की जाति के नाम पर लगातार लामबंद होकर प्रदर्शन कर रहे हैं। क्षत्रियों की तरफ से ठाकुर चेहरा संगीत सोम ने बिरादरी की राजनैतिक हिस्सेदारी का राग छेड़ दिया है। समाजों से इतर सभी पार्टियां भी पिछड़ों, दलितों को यात्रा निकालकर, सभाएं कर साधने में जुटी हैं।

पश्चिमी यूपी की 27 लोकसभा सीटों पर जाट, गुर्जर, ब्राह्मण, त्यागी, ठाकुर, पिछड़ों और दलितों का लगभग 40 फीसदी वोट बैंक है। यही वोट बैंक राजनीतिक दलों की हार, जीत का बड़ा फैक्टर है। जिस दल ने इन जातियों को साध लिया, उसकी नाव किनारे लगी। चुनाव से पहले इसी वोट शेयर की लड़ाई पश्चिम में छिड़ी हुई है।

जहां हर बिरादरी अपना हिस्सा मांग रही है। राजनैतिक दलों ने भी इस वोट बैंक को हासिल करने की जीतोड़ कवायद शुरू कर दी है। जिसकी तस्वीर पिछले 2 महीने में हुई महापंचायतों, आंदोलनों, अधिवेशनों के जरिए साफ देखी गई। अराजनैतिक मंचों पर आयोजनों के बहाने बिरादरी की हिस्सेदारी की मांग मुखर हुई है।

2014 के लोकसभा चुनाव से पहले जाटों ने केंद्र में बिरादरी के आरक्षण के लिए तगड़े आंदोलन किए। तब भाजपा ने उनसे वादा किया कि सत्ता में आते ही जाटों को आरक्षण मिलेगा। लेकिन, वो मांग अभी भी लंबित है। अब 10 साल बाद 2024 के चुनाव से पहले पश्चिमी यूपी के जाटों ने फिर से आरक्षण की मांग शुरू कर दी है।

जाट नेताओं का मानना है कि यही समय है जब हम अपनी आरक्षण की मांग को मनवा सकते हैं। वरना चुनाव निकलते ही हमारी मांग भी दब जाएगी। इसलिए पश्चिमी यूपी से जाट आरक्षण की मांग फिर से उठ रही है। मेरठ में सितंबर में रालोद, विपक्ष समर्थित जाटों ने अधिवेशन किया।

अखिल भारतीय जाट महासभा के इस अधिवेशन में देशभर से बिरादरी के लोग एकजुट हुए। मुद्दा था कि जाटों को केंद्र में आरक्षण मिले। अधिवेशन के 5 दिन बाद भाजपा समर्थित जाटों ने मेरठ में अंतरराष्ट्रीय जाट संसद बुलाकर आरक्षण की मांग उठाई है। जाट संसद में देशभर से जाट सरदारी पहुंची।

केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान सहित नेता भी आए। बिरादरी की पहली मांग अपने लिए आरक्षण था। इसके बाद जाट महापुरुषों को भारत रत्न, नए संसद भवन में जाट महापुरुषों की मूर्तियां लगाने की रखी गई। मेरठ के बाद अब लगातार पश्चिमी यूपी के जिलों में जाट महापंचायतें हो रही हैं, जिसमें आरक्षण की मांग को बल दिया जा रहा है।

जल्द ही खापों के थांबेदार और जाट नेता अपनी इस मांग को लेकर सरकार से मिलेंगे। प्रदर्शन की तैयारी में भी हैं। इस मांग को आंदोलन के जरिए पूरा कराया जा सके। अमरोहा, अलीगढ़, मथुरा में सम्मेलन होगा। नवंबर में दिल्ली में राष्ट्रीय अधिवेशन किया जाएगा।

यूपी में जाटों की कुल आबादी 6 से 8 प्रतिशत बताई जाती है। इसमें वेस्ट यूपी में 17 प्रतिशत जाट वोटर हैं। पश्चिमी यूपी की 18 लोकसभा सीटों पर जाट वोट बैंक चुनावी नतीजों में सीधा असर रखता है। इसमें सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, बिजनौर, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, संभल, अमरोहा, बुलंदशहर, मुरादाबाद, फतेहपुर सीकरी, अलीगढ़, फिरोजाबाद, हाथरस शामिल है।

वहीं, बडे़ जाट नेताओं में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, भाजपा यूपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक, बागपत सांसद सतपाल सिंह, लक्ष्मीनारायण चौधरी का नाम आता है।

पश्चिमी यूपी में त्यागियों का संख्याबल भी अच्छा है। ब्राह्मणों के साथ त्यागी वोटर भी खासी संख्या रहते हैं। नोएडा में श्रीकांत त्यागी और सांसद महेश शर्मा प्रकरण के बाद अब त्यागी भी अपनी राजनीतिक हिस्सेदारी को लेकर आवाज उठा रहे हैं। त्यागियों का कहना है कि भाजपा का मूल वोटर होने के बावजूद पार्टी उनके साथ भेदभाव करती है।

विधानसभा चुनाव से लेकर नगर निकाय चुनाव, पंचायत चुनावों में त्यागियों को टिकट नहीं मिला। क्षेत्र, महानगर और जिला इकाइयों में पद देने में भी त्यागियों को पीछे रखा गया। अब 2024 चुनाव से पहले त्यागियों ने जितनी हिस्सेदारी उतनी भागीदारी की ठान ली है।

पिछले दिनों मंत्री स्वतंत्र देव सिंह के बयान से गुस्साए त्यागी समाज ने श्रीकांत त्यागी के निर्देशन में मेरठ, मुजफ्फरनगर में महापंचायत की थी। नतीजा कि स्वतंत्र देव सिंह को वीडियो जारी कर माफी मांगनी पड़ी। इसके बाद त्यागियों ने अपनी नई पार्टी बना ली है। कहना है कि बिरादरी इस बार अपने झंडे, डंडे के नीचे चुनाव लड़ेगी। पश्चिमी यूपी में लगातार बिरादरी को हाशिए पर रखकर फैसले लिए जा रहे हैं।

वेस्ट यूपी के 17 जिलों में आबादी का 10% लगभग 75 लाख त्यागी वोटर हैं। समाज द्वारा कराए सर्वे के अनुसार, हर लोकसभा पर त्यागियों की संख्या 1 से 3 लाख के बीच है। त्यागी, भूमिहार, ब्राह्मण को मिलाकर समाज का 10% वोट बनता है।

गाजियाबाद में 2 लाख 30 हजार, बागपत में 1 लाख 10 हजार, मेरठ में 2 लाख 10 हजार, मुजफ्फरनगर में 93 गांवों में 1 लाख 60 हजार, सहारनपुर 83 गांवों में 1 लाख 20 हजार और बिजनौर 86 गांवों में 1 लाख 90 हजार त्यागी मतदाता हैं। 20 हजार कार्यकर्ता भृगुवंशी सेना में हैं।

त्यागी भूमिहार समाज की 3668 संस्थाएं हैं, जो शाखाओं के रूप में जनता और समाज को कनेक्ट करने का काम करती हैं। वहीं, बड़े त्यागी नेताओं में एमएलसी अश्विनी त्यागी, मांगेराम त्यागी और श्रीकांत त्यागी का नाम आता है।

पश्चिमी यूपी की राजनीति में ठाकुरों का भी खासा दखल है। दो दशक पहले की बात करें, तो ब्राह्मणों और ठाकुरों के ईद-गिर्द की राजनीति का पहिया घूमता था। भाजपा में जाटों, गुर्जरों की बढ़ती हिस्सेदारी के बीच ठाकुरों को लगता है कि उनका दखल कम हो रहा है।

पार्टी में क्षत्रियों को 5वें, 6वें पायदान पर खड़ा कर दिया है। पश्चिमी यूपी की 18 सीटों पर ठाकुर सीधे दखल रखते हैं। ऐसे में 2024 से पहले अब ठाकुर भी टिकटों में अपना हिस्सा चाहते हैं। मेरठ में रविवार 15 अक्टूबर को पूर्व विधायक संगीत सोम की अगुआई में एक चिंतन चेतना शिविर हुआ।

राजपूत महासभा के इस आयोजन में संगीत सोम ने कहा कि पश्चिमी यूपी में क्षत्रियों का सफाया करने की तैयारी है। क्षत्रिय आपसी मनमुटाव को छोड़कर एकजुट हों और अपने हकों के लिए लड़ें। कहा कि राजनीतिक रैली में भले मत जाओ, लेकिन समाज के आयोजन में जरूर पहुंचो।

चिंतन शिविर के बहाने राजपूत समाज अपनी राजनीतिक हिस्सेदारी पर बात करने के लिए एकजुट हुए। जिससे आगामी लोकसभा चुनाव में बिरादरी को टिकटों में पूरी हिस्सेदारी की बात हो सके।

ठाकुरों का मानना है कि जो क्षत्रिय शुरुआत से भाजपा का वोटर रहा है, वो पार्टी अब पश्चिमी यूपी में जाटों, गुर्जरों की तरफ झुक रही है। ठाकुरों को हाशिए पर रखा जा रहा है। हालिया विधानसभा चुनाव, जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव, नगर निकाय चुनावों, जिलाध्यक्ष, महानगर अध्यक्ष बनाने में क्षत्रियों के साथ भेदभाव हुआ है। वक्त है कि चुनाव से पहले इसे सुधार कर अपनी भागीदारी तय की जाए।

यूपी में 7 फीसदी आबादी ठाकुरों की है। उत्तर प्रदेश से देश की आजादी के बाद 2 ठाकुर पीएम बने। ब्राह्मणों के बाद सत्ता पर सबसे ज्यादा कब्जा किसी का रहा है, तो वो ठाकुरों का रहा। यूपी में 5 सीएम ठाकुर रहे। इसी प्रदेश से ठाकुर नेता चंद्रशेखर, वीपी सिंह, राजनाथ सिंह शीर्ष पदों तक पहुंचने वाले नाम हैं।

पश्चिमी यूपी में गाजियाबाद, नोएडा सीट राजपूत प्रभावित है। देखें तो मेरठ, सहारनपुर, गाजियाबाद, अमरोहा से लेकर मुरादाबाद तक कई सीटों पर ठाकुर प्रतिनिधित्व रहा है। 2022 विधानसभा चुनाव में 403 सीटों में से 49 विधायक ठाकुर जीते हैं। इसमें बीजेपी गठबंधन से 43, सपा से 4, बसपा से एक और जनसत्ता पार्टी से राजा भैया जीते। सूबे में हर चौथा विधायक ठाकुर माना जा सकता है।

राजनाथ सिंह, सुरेश राणा, वीके सिंह, ठाकुर अमरपाल सिंह, कुंवर ब्रजेश, कुंवर सर्वेश सिंह, केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह, पंकज सिंह, सरधना से विधायक रहे संगीत सोम का नाम आता है। विजयपाल सिंह तोमर राज्यसभा सदस्य हैं। गाजियाबाद में रमेशचंद्र तोमर, राजनाथ सिंह कई बार सांसद बने हैं।

2017 में यूपी में योगी सरकार में थाना भवन के सुरेश राणा और अमरोहा के चेतन चौहान कैबिनेट मंत्री बने। 2022 योगी सरकार में देवबंद के कुंवर ब्रजेश सिंह को राज्यमंत्री का पद मिला। सहारनपुर से नकली सिंह भी सांसद रहे हैं। यहां तक कि 1971 लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर से ठाकुर विजयपाल ने चौ. चरण सिंह को शिकस्त दी थी।

लोकसभा चुनाव से पहले रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री भारत सरकार रामदास अठावले ने यूपी में 2 बड़ी रैली करने का सोचा है। पहली रैली मेरठ में 1 अक्टूबर को चुकी है। अठावले के साथ इसमें डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को आना था।

हालांकि दोनों नेता नहीं पहुंचे। लेकिन, रैली में भारी संख्या में पिछड़ा वर्ग के लोग अपने जनाधिकारों के लिए एकजुट हुए। पश्चिमी यूपी का पिछड़ा वोटर हर पार्टी में अपने लिए राहें तलाश रहा है। यही वजह है भाजपा, कांग्रेस, रालोद से लेकर RPI की नजर पिछड़ों पर हैं।

नगर निकाय चुनाव को लेकर पिछड़ा वर्ग आयोग की सर्वे रिपोर्ट आई थी। जिसके अनुसार वेस्ट यूपी के नगर निकायों में 37.53% आबादी पिछड़ों की है। इसमें पूर्वांचल पहले, पश्चिम दूसरे, तीसरे पर बुंदेलखंड और मध्य यूपी पिछड़ों की आबादी में चौथे नंबर पर है।

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले एक बार फिर वेस्ट यूपी के पिछड़ों पर सियासी दल निगाहें गड़ाए हुए हैं। आरक्षण से लेकर आंदोलन और अधिकार रैली तक वेस्ट यूपी में इन दिनों पिछड़ों को अपना बनाने का खेला चल रहा है। यादवों का एक बड़ा वर्ग सपा के पास है।