मुजफ्फरनगर। जिले की छह चीनी मिले बिजली बनाकर करोड़ों कमा रही है। इस सीजन में इन चीनी मिलों ने 150 करोड़ की बिजली विद्युत निगम को बेची है। रोहाना और मोरना को छोड़ सभी चीनी मिले बगास से बिजली बनाने का कार्य कर रही है।

जिले में आठ चीनी मिल हैं, इनमें से छह चीनी मिल ऐसी हैं, तो बगास से बिजली बनाकर विद्युत वितरण निगम को बेच रही है। इन चीनी मिलों ने इस सीजन में अब तक 150 करोड़ रुपये बिजली बेचकर कमाए हैं। चीनी मिल उत्पादित बिजली का खुद प्रयोग करती हैं, जो बच जाती है उसे बेचती हैं। चीनी मिलों की अतिरिक्त आय का यह बड़ा साधन है। चीनी मिलों की बिजली उत्पादन की क्षमता 138 मेगावाट की है।

विद्युत वितरण निगम चीनी मिलों से अलग-अलग रेट बिजली खरीद रहा है। इनमें खतौली, खाईखेड़ी से तीन रुपये सात पैसे प्रति यूनिट की खरीदारी की जा रही है। टिकौला से तीन 69 पैसे प्रति यूनिट, तितावी, भैसाना से तीन रुपये आठ पैसे, मंसूरपुर से तीन रुपये 18 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से खरीदारी हो रही हैं। बिजली का सबसे ज्यादा उत्पादन खतौली चीनी मिल ने और सबसे कम भैसाना ने किया है। खतौली ने बिजली बेचकर 90 करोड़ 79 लाख की कमाई की है। भैसाना चीनी मिल को केवल छह करोड़ छह लाख मिले हैं।

चीनी मिल क्षमता मिल को आय
खतौली 46 मेगावाट 90.79 करोड़
तितावी 28 मेगावाट 12.29 करोड़
भैसाना 12 मेगावाट 6.06 करोड़
मंसूरपुर 27 मेगावाट 18.73 करोड़
टिकौला 10 मेगावाट 14.05 करोड़
खाईखेड़ी 15 मेगावाट 8.12 करोड़

मिलों की आय का साधन बढा: द्विवेदी
जिला गन्ना अधिकारी आरडी द्विवेदी का कहना है कि चीनी मिलों को बिजली पर काफी पैसा खर्च करना पड़ता था, जब से को-जन प्लांट लगे हैं, तब से मिले खुद बिजली बना रही है। अतिरिक्त बिजली का उत्पादन कर विद्युत निगम को बेच रही है। चीनी मिलों की इससे अतिरिक्त आय बढ़ी है।