मुजफ्फरनगर। अर्जुन अवार्डी एवं अंतरराष्ट्रीय पहलवान दिव्या काकरान उत्तर प्रदेश पुलिस में डीएसपी बनने की आस लगाए हैं। इसके लिए वह रेलवे की सीनियर टिकट कलेक्टर की नौकरी छोड़ने को तैयार हैं। राष्ट्रीय खेलों में उत्तर प्रदेश की ओर से प्रतिभाग करने के बाद उन्होंने इसके संकेत भी दिए हैं। अपनी उपलब्धियों और प्रमाण-पत्रों के साथ वह जल्द ही शासन एवं खेल विभाग के अधिकारियों से मुलाकात करेंगी।

मुजफ्फरनगर के मंसूरपुर क्षेत्र के गांव पुरबालियान निवासी दिव्या काकरान ने नौ वर्ष की उम्र में कुश्ती का खेल शुरू किया था। इसके बाद वह निरंतर आगे बढ़ती गईं और विभिन्न स्तर की प्रतियोगिताओं में पदक जीते। वर्ष-2014 में नोएडा हुई कुश्ती प्रतियोगिता में उन्हें उत्तर प्रदेश केसरी का खिताब मिला था। 2015 में भारत केसरी का खिताब जीता। अपने करियर में वह उप्र. के सैफई, इटावा, कानपुर, नोएडा, मेरठ, जौनपुर आदि जनपदों में कुश्ती लड़ चुकी हैं। वर्ष 2019 में दिव्या रेलवे में सीनियर टिकट कलेक्टर बनीं और दिल्ली के शाहदरा रेलवे स्टेशन पर तैनात हैं। हाल ही मे पहली बार राष्ट्रीय खेलों में उत्तर प्रदेश की तरफ से खेलकर उन्होंने गोल्ड मेडल पर कब्जा किया।

दिव्या का दिल्ली सरकार के साथ एक मुद्दे को लेकर विवाद है। बकौल दिव्या, केजरीवाल सरकार ने उनकी लगभग ढाई लाख रुपये की पुरस्कार राशि नहीं थी। यह प्रकरण ट्विटर पर छिड़ा तो उनके समर्थन में देशभर से आवाज उठी थी। वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिव्या को रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड के साथ पेंशन सुविधा भी दे रखी है। इसके तहत वह उत्तर प्रदेश सरकार से 25 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन ले रही हैं।

दिव्या के पिता सूरजवीर कहते हैं-बेटी लगातार देश और प्रदेश का मान बढ़ा रही है। दिव्या की इच्छा अपने प्रदेश की पुलिस में डीएसपी बनने की है। वह जल्द ही उसकी उपलब्धियों, प्रमाण-पत्रों को लेकर शासन स्तर पर जाएंगे। कामनवेल्थ गेम्स के पदक विजेता खिलाड़ी को मुख्यमंत्री ने नौकरी की घोषणा कर रखी है। दिव्या ने बर्मिंघम में हुए कामनवेल्थ खेलों में कांस्य पदक जीता है।