नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने ऑर्डिनेंस जारी कर प्रदूषण फैलाने वालों के लिए सख्त सजा का प्रावधान किया है। केंद्र सरकार ने नए अध्यादेश के जरिये प्रावधान किया है कि जो भी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होगा, वह दोषी पाए जाने पर पांच साल तक कैद की सजा भुगतेगा और उस पर एक करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। राष्ट्रपति ने बुधवार रात ऑर्डिनेंस को मंजूरी दी। इसके तहत कमिशन फॉर एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट भी बनाया गया है जो दिल्ली, एनसीआर और आसपास के इलाके को देखेगा।
18 सदस्यों का कमिशन बनाया गया है जिसका एक चेयरपर्सन होगा जो पूर्ण कालीन होगा। ये चेयरपर्सन भारत सरकार के सेक्रेटरी या राज्य सरकार के चीफ सेक्रेटरी रैंक के अधिकारी होंगे। इन 18 सदस्यों में ब्यूरोक्रेट, एक्टिविस्ट और अन्य एक्सपर्ट होंगे। कमिशन के सदस्यों का कार्यकाल तीन साल का होगा। कमिशन एयर पोल्यूशन को मॉनिटरिंग करेगा और पर्यावरण कानून से संबंधित मामले देखेगा। साथ ही रिसर्च और नई तकनीक ईजाद करेगा।
कमिशन इन तीनों एरिया में काम करने के लिए सब कमिटी का गठन कर सकेगा। कमिशन पराली जलाने के मसले को देखेगा। साथ ही वाहन प्रदूषण, धूलकण प्रदूषण और अन्य तमाम कारकों को देखेगा जिससे कि दिल्ली और एनसीआर में एयर क्वॉलिटी खराब होती रही है।
कमिशन अपनी वार्षिक रिपोर्ट संसद को सौंपेगा। साथ ही प्रस्ताव किया गया है कि ये कमिशन सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त ईपीसीए को स्थानांतरित करे। कमिशन के तहत काम करने वाली तमाम बॉडी दिल्ली और एनसीआर के एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट को देखेगी। साथ ही कहा गया है कि राज्यों की एजेंसी और कमिशन की तरफ से जारी निर्देश में अगर टकराव हुआ तो कमिशन का आदेश मान्य होगा।
प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ कमिशन शिकायत करेगी और शिकायत कोर्ट में किया जाएगा। शिकायत के आधार पर कार्रवाई होगी। कमिशन के आदेश के खिलाफ कोई भी अपील एनजीटी में की जा सकेगी। कोई अन्य बॉडी और अथॉरिटी आदेश पारित नहीं करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 26 अक्टूबर को पराली जलाने पर रोक के लिए उठाए गए कदमों की निगरानी के लिए रिटायर जस्टिस की कमिटी बनाने के आदेश को फिलहाल स्थगित कर दी थी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट को केंद्र सरकार ने बताया था कि पराली जलाने से रोकने और एयर पॉल्यूशन की समस्या से निपटने के लिए सरकार एक समग्र कानून लाने जा रही है। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को उक्त जानकारी दी थी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर को पारित अपने उस आदेश को स्थगित कर दी थी जिसमें पराली मामले को देखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस मदन बी लोकूर की कमिटी का गठन का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मुद्दा एक ही है कि प्रदूषण के कारण लोग परेशान हैं, ऐसे में वायु प्रदूषण रोकने के लिए कारगर कदम उठाए जाएं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि केंद्र सरकार ने इस मामले में समग्र नीति बनाई है और सुप्रीम कोर्ट के सामने चार दिनों में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए बनाए जा रहे कानून का ड्राफ्ट पेश कर दिया जाएगा।