नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली में अचानक हिंसा की घटनाएं आने लगी। दिल्ली की सड़कों पर  उग्र किसानों ने जमकर हंगामा किया। हालात बिगड़ने पर पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी। किसानों का एक धड़ा इन हिंसक घटनाओं का विरोध कर रहा है। इन्हीं में से कुछ किसान नेताओं ने दीप  सिद्धू पर किसानों को भड़काने और हिंसा फैलाने के आरोप लगाएं हैं। इसके बाद  सिद्धू को ने फेसबुक पर कहा कि उन्होंने लोकतांत्रिक अधिकार के तहत निशान साहिब का झंडा लालकिले पर फहराया। आइए बताते हैं कि कौन हैं  दीप सिद्धू, जिनको लेकर बॉलीवुड अभिनेता सनी देओल को देनी पड़ी सफाई और एनआईए ने समन भेज तलब किया।
 भारतीय किसान यूनियन के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने दीप सिद्धू पर आरोप लगाते हुए कहा कि किसान संगठनों का लाल किले पर जाने का कोई कार्यक्रम नहीं था। दीप सिद्धू ने किसानों को भड़काया और आउटर रिंग रोड से लाल किले ले गया। किसान शांतिपूर्ण आंदोलन करते रहेंगे। ये आंदोलन धार्मिक आंदोलन नहीं है। वहीं कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने कहा कि दीप सिद्धू और गैंगेस्टर से नेता बने लखा सिधाना ने पिछली रात सिंघु बॉर्डर पर भी किसानों को भड़काने की कोशिश की। योगेंद्र यादव ने आगे कहा,  इस बात की जांच होनी चाहिए कि किस प्रकार एक माइक्रोफोन के साथ दीप सिद्धू लाल किले तक पहुंच गया। दीप सिद्धू पंजाबी अभिनेता हैं। दीप सिद्धू का जन्म वर्ष 1984 में पंजाब के मुक्तसर जिले में हुआ, फिर उन्होंने आगे लॉ की पढ़ाई की।। दीप किंगफिशर मॉडल हंट के विजेता रह चुके हैं और मिस्टर इंडिया कॉन्टेस्ट में मिस्टर पर्सनैलिटी का खिताब जीत चुके हैं। शुरूआत में मॉडलिंग की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। किंगफिशर मॉडल हंट अवार्ड जीतने से पहले वह कुछ दिन बार के सदस्य भी रहे।  साल 2015 में दीप सिद्धू की पहली पंजाबी फिल्म ’रमता जोगी’ रिलीज हुई।  हालांकि, उन्हें पहचान साल 2018 में आई फिल्म ’जोरा दास नुम्बरिया’  से मिली, जिसमें उन्होंने गैंगेस्टर का किरदार निभाया है।
कुछ कार्यकर्ताओं और कलाकारों ने सिंघु  बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को 25 सितंबर के दिन अपना समर्थन देने का निर्णय लिया। पंजाबी एक्टर  दीप सिद्धू भी उन्हीं कलाकारों में से एक थे,  जिन्होंने किसानों के साथ धरने पर बैठने का निर्णय लिया।  इसके बाद उन्होंने स्थायी तौर पर धरना देने का निर्णय लिया।  दीप सिद्धू ने अपने सोशल मीडिया पर अपने प्रशंसकों से किसानों की समस्या को उठाने की अपील की। पिछले लोकसभा चुनाव में दीप ने गुरदासपुर से भाजपा सांसद और बॉलीवुड एक्टर सनी देओल के लिए चुनाव प्रचार किया था।  हालांकि, लाल किले पर हुई हिंसक घटना के बाद सनी देओल ने एक ट्वीट करते हुए कहा ’मेरा या मेरे परिवार का दीप सिद्धू से कोई संबंध नहीं है। ’  देओल ने कहा, “आज लाल किले पर जो हुआ,  उसे देख कर मन बहुत दुखी हुआ है। मैं पहले भी, 6 दिसंबर  को  ट्वीट कर स्पष्ट कर चुका हूं कि  मेरा या मेरे परिवार का दीप सिद्धू के साथ कोई संबंध नही है। जय हिन्द।“ पिछले लोकसभा चुनाव में दीप ने गुरदासपुर से भाजपा सांसद और बॉलीवुड एक्टर सनी देओल के लिए चुनाव प्रचार किया था। दीप सिद्ध् की भाजपा से नजदीकी की बात कहकर अब सोशल मीडिया पर उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह व सांसद सनी देओल के साथ तस्वीरें वायरल कर दी गई हैं। कीर्ति किसान यूनियन के उपाध्यक्ष रजीन्दर सिंह दीपसिंह वाला ने बताया कि केंद्र सरकार शुरू से ही किसान आंदोलन को सांप्रदायिक रंग देना चाहती थी। दीप सिद्धू ने उनकी अच्छी सेवा की है।

दीप सिद्धू किसान आंदोलन में लगातार दो महीनों से सक्रिय हैं। कुछ दिन पहले दीप को सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे ) के साथ रिश्तों को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए ) ने नोटिस भी जारी किया था। दीप ने पिछले साल आंदोलन के दौरान किसान यूनियन की लीडरशिप पर सवाल उठाया था। उस दौरान उन्होंने शंभु मोर्चा के नाम से नए किसान संगठन की घोषणा भी की थी। तब उनके मोर्चा को खालिस्तान समर्थक चैनलों से समर्थन भी मिला था। इस बीच,  दीप सिद्धू ने फेसबुक पर एक वीडियो जारी कर कहा कि लाल किला पर निशान साहिब का झंडा तो उन्होंने ही फहराया है, लेकिन राष्ट्र ध्वज नहीं हटाया। साथ ही अपने ऊपर लगे आरोपों को दरकिनार कर दिया। उन्होंने कहा कि कुछ संगठनों के नेताओं ने तय रूट फॉलो नहीं करने की बात पहले ही कही थी, लेकिन  भारतीय किसान यूनियन ने इसे नजरंदाज कर दिया। उन्होंने कहा कि  केवल एक प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर ’निशान साहिब’ को लगाया था। बता दें कि निशान साहिब’ सिख धर्म का प्रतीक है और इस झंडे को सभी गुरुद्वारा परिसरों में लगाया जाता है। बता दें कि किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली  के कई हिस्सों में हिंसक झड़पें भी हुईं। ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल और कार पर सवार सैकड़ों किसान हाथों में तिरंगा और अन्य  झंडे लेकर लाल किला परिसर में घुस गए।  सुरक्षा बलों और पुलिस कर्मियों की संख्या से अधिक संख्या में किसान जल्द ही स्मारक की प्राचीर पर चढ़ गए और वहां अपना परचम लहराया।  राजधानी के विभिन्न हिस्सों में मंगलवार को भड़की हिंसक झड़पों में दर्जनों पुलिसकर्मी और कई किसान घायल हो गए। आईटीओ चौराहे के पास ट्रैक्टर  पलटने के चलते एक किसान की मौत हो गई।