ये बरतें सावधानियां
– पटाखे और आतिशबाजी के लिए खुली जगह का प्रयोग करें
– आंखों पर चश्मा और पूरी बाजू के कपड़े पहनकर पटाखे छुड़ाएं
– जिस जगह पटाखें छुड़ाएं, वहां कोई ज्वलनशील पदार्थ नहीं होना चाहिए
– बच्चों को पटाखों से दूर खड़ा करें, आतिशबाजी में सावधानी बरतें
– पटाखे जलाकर एक-दूसरे के ऊपर नहीं फेंके, इससे हादसे का खतरा रहता है
– जो पटाखे फुस्स हो जाते हैं, उन्हें दोबारा उठाकर जलाने की कोशिश न करें
बच्चों को प्रेरित करें, दूर होगा प्रदूषण
समाजसेवी विर्मला बालियान का कहना है कि दिवाली पर रोशनी करें। पूजा-पाठ करें। बच्चों को पटाखा रहित दिवाली मनाने के लिए प्रेरित करें। इससे आर्थिक बचत भी होगी और पर्यावरण प्रदूषण से भी बचाव हो सकेगा।
इमरजेंसी में तैनात रहेंगे डॉक्टर
दिवाली के त्योहार पर हादसे या जलने और झुलसने के मामलों में पीड़ितों को उपचार के लिए इमरजेंसी में विशेष ड्यूटी रहेगी। सीएमओ डॉ. एमएस फौजदार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने जिला अस्पताल में व्यवस्था की है। इसके अलावा क्षेत्र के प्रत्येक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी उपचार मिल सकेगा।
सावधानी से मनाएं त्योहार : सीएमओ
सीएमओ डॉ. एमएस फौजदार ने कहा कि दिवाली का त्योहार सावधानी से मनाएं। पटाखे छुड़ाते वक्त विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। जरा सी लापरवाही भारी पड़ सकती है। अभिभावकों की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है। बच्चों को जागरूक करें और कोशिश करें पटाखें न छुड़ाए जाएं।
ग्रीन पटाखों का विकल्प चुनें
उद्यमी सतीश गोयल का कहना है कि पटाखे नहीं छुड़ाने चाहिए। अभिभावकों की जिम्मेदारी त्योहारों पर और अधिक बढ़ जाती है। अगर जरूरी भी है तो सुप्रीम कोर्ट के नियमों का पालन करते हुए ग्रीन पटाखों को वरीयता देनी चाहिए।