
भोपाल. फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के ख़लिफ़ भोपाल के इक़बाल मैदान में हुए एक प्रदर्शन को लेकर प्रदेश की राजनीति गरमा गई है. गुरुवार को आयोजित हुए इस प्रदर्शन में हज़ारों की तादाद में मुसलमानों ने पहुँच कर फ़्रांस का न सिर्फ़ विरोध किया बल्कि फ़्रांस के झंडे को आग के हवाले कर दिया.
बीते दिनों फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस्लाम धर्म को संकट में बताया था. पैग़ंबर मोहम्मद के एक कार्टून को दिखाने वाले टीचर सैमुअल पेटी की हत्या के बाद मैक्रों ने कहा था कि वे मुसलमान कट्टरपंथी लोगों के ख़लिफ़ सख़्त कार्रवाई करेंगे.
मैक्रों के इस बयान के बाद से दुनिया के कई देशों में उनके ख़लिफ़ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. भोपाल में भी विरोध प्रदर्शन हुए. भोपाल के इस प्रदर्शन को शहर के मुस्लिम उलेमाओं के साथ-साथ कांग्रेस के एक मुसलमान विधायक का भी समर्थन हासिल था.
शहर में बीते कुछ दिनों में फ़्रांस के राष्ट्रपति के मुसलमानों के बारे में कही गई बात को लेकर छोटे-छोटे विरोध प्रदर्शन आयोजित हो रहे थे, लेकिन गुरुवार को यह बड़ा प्रदर्शन आयोजित किया गया. लोगों ने इमैनुएल मैक्रों के पोस्टर ज़मीन पर चिपकाए, ताकि लोग उन पर पैर रख सकें.
इस प्रदर्शन के ज़रिए अब राजनीति तेज़ हो गई है. भाजपा के नेताओं की आपत्ति के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस मामले में ट्वीट कर कहा, “मध्य प्रदेश शांति का टापू है. इसकी शांति को भंग करने वालों से हम पूरी सख़्ती से निपटेंगे.“
उन्होंने लिखा कि “इस मामले में 188 आईपीएस के तहत मामला दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है. किसी भी दोषी को बख़्शा नहीं जाएगा, वो चाहे कोई भी हो.“
ज़िला कलेक्टर ने फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के ख़लिफ़ जुटे हज़ारों लोगों पर कोरोना गाइडलाइन के उल्लंघन का मामला दर्ज कर लिया है. प्रदर्शनकारियों पर आरोप है कि उन्होंने प्रशासन से मिली हिदायतों को पूरा नहीं किया. सभा स्थल पर मौजूद लोग बहुत क़रीब क़रीब खड़े थे. साथ ही उनमें से अधिकांश लोगों ने मास्क नहीं लगाए थे. शहर की तलैया पुलिस ने कांग्रेस विधायक आरिफ़ मसूद के साथ 2,000 लोगों के ख़लिफ़ मामला दर्ज किया.
भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा है कि कांग्रेस को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या यह पार्टी से अधिकृत प्रदर्शन था या नहीं.
मामले को मिला राजनीतिक रंग
रजनीश अग्रवाल ने कहा, “हर किसी को विरोध दर्ज कराने का हक़ है, लेकिन नियमों और क़ानून के अंतर्गत, कोई भी प्रदर्शन या विरोध हो, उसमें नियमों का पालन होना चाहिए.“
वहीं कांग्रेस ने इस प्रदर्शन का बचाव किया. कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा का कहना है कि “प्रदेश की आबोहवा शांत है. यह तो जन-भावनाओं की अभिव्यक्ति है. किसी के धर्म गुरु के बारे में कोई टिप्पणी की जाती है या अपमान किया जाता है, तोa यह उस क्रिया की प्रतिक्रिया है.“
उन्होंने कहा, “यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन था. किसी को भी माहौल ख़राब करने की इजाज़त नहीं होनी चाहिए, लेकिन यह शांतिपूर्ण था. लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार प्रत्येक व्यक्ति के पास है. इस प्रदर्शन में ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला कि इसमें कोई अनियंत्रित हो रहा हो.“ हालांकि इस प्रदर्शन में धर्म गुरुओं के साथ ही कांग्रेस के विधायक की मौजूदगी ने पूरे मामले को राजनीतिक रंग दे दिया है. आरिफ़ मसूद ने कहा है कि भारत सरकार को मुसलमानों के जज़्बातों का ध्यान रखते हुए अपने राजदूत को बुलाकर इस बयान की मुख़ालफ़त करनी चाहिए. आरिफ़ मसूद ने सवाल किया कि ’क्या इस प्रदर्शन के बाद भोपाल में कोई अव्यवस्था हुई?’
उन्होंने कहा, “पच्चीस हज़ार लोग जमा हुए, सुकून से आए, अपनी बात रखी और चले गए. इससे ज़्यादा सुकून और क्या हो सकता है. क्या हम अपने हक़ और इंसाफ़ की बात भी न करें? हमारे मज़हब, हमारे धर्मगुरु और हमारे नबी पर टिप्पणी हो तो क्या हम न बोलें?“
मसूद ने कहा, “बड़े अफ़सोस की बात है कि फ़्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने इस्लाम और इस्लाम के रहनुमा पैग़ंबर साहब को निशाना बनाने वाले कार्टून के प्रदर्शन को बढ़ावा दिया और जानबूझकर मुसलमानों की आस्था को चोट पहुँचाने की कोशिश की. फ़्रांस के राष्ट्रपति को इस्लाम धर्म की कोई समझ नहीं है, उसके बावजूद भी उन्होंने इस्लाम धर्म पर हमला करके दुनिया भर के करोड़ों मुसलमानों की भावनाओं को आहत किया है.“
भोपाल शहर क़ाज़ी सैय्यद मुश्ताक़ अली नदवी ने कहा, “पैग़ंबरे इस्लाम ने दुनिया में अमन और भाईचारे का पैग़ाम दिया है. फ़्रांस के राष्ट्रपति ने जो गुस्ताख़ी की है, वह किसी भी मुसलमान के लिए बर्दाश्त करने लायक नहीं है.“
वहीं मुफ़्ती-ए-शहर भोपाल अबुल क़लाम क़ासमी ने कहा कि, “फ़्रांस के राष्ट्रपति का बयान शर्मनाक है जिसकी पूरी दुनिया में मुख़ालफ़त हो रही है. हम भारत सरकार से माँग करते हैं कि भारत के मुसलमानों की तरफ़ से फ़्रांस के दूतावास को विरोध दर्ज कराएं और फ़्रांस के राष्ट्रपति अपने बयान पर माफ़ी माँगें.“
इस मौक़े पर फ़्रांस के राष्ट्रपति के विरोध के बाद सामूहिक दुआ भी करवाई गई. मध्य प्रदेश में तीन नवंबर को 28 सीटों पर उप-चुनाव होने जा रहे हैं. दोनों ही पार्टियों के लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण है. इस प्रदर्शन की तस्वीरों के ज़रिए चुनाव वाली जगहों पर ध्रुवीकरण के प्रयास भी किए जा रहे हैं.
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