मुजफ्फरनगर। किसान आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाली गठवाला खाप एक बार फिर ताकत दिखाने जा रही है। महापंचायत के लिए गांव-गांव में तैयारियां की जा रही हैं। लालूखेड़ी से मुजफ्फरनगर तक काफिले के रूप में गठवाला के लोग पहुंचेंगे।

पांच सितंबर को खाप के अधिकतर किसान और खाप चौधरी लालूखेड़ी में एकत्र होंगे। भाकियू नेता अनिल मलिक ने बताया कि पुरा महादेव से खाप चौधरी आजाद मलिक के अलावा थांबेदार श्याम सिंह बहावड़ी, रविंद्र सिंह, रविंद्र सिंह सोंहजनी, अजब सिंह खरड़ समेत अन्य खाप चौधरी की अगुवाई में खाप के लोग महापंचायत में शामिल होंगे।

पंचायत को सफल बनाने के लिए शुक्रवार को गांव दर गांव जनसंपर्क किया गया। भाकियू नेता ओमपाल मलिक ने कहा कि गठवाला हमेशा की तरह सबसे खास भूमिका निभाएगा, सबसे बड़ी भागीदारी गठवाला की होगी। कुछ किसान लालूखेड़ी के रास्ते जाएंगे, जबकि खाप के कुछ किसान बुढ़ाना से मुजफ्फरनगर जाएंगे। वहीं, लाटियान खाप के चौधरी वीरेंद्र लाटियान ने कहा कि किसानों के लिए संघर्ष जारी रहेगा।

गठवाला खाप के थांबेदार श्याम सिंह बहावड़ी ने कहा कि किसानों के लिए निर्णायक फैसले की घड़ी है। किसान के भविष्य का सवाल है। वर्तमान की जरूरत एकता की है। खाप किसानों के साथ खड़ी है। भैंसवाल की बत्तीसा खाप के चौधरी सूरजमल ने कहा कि खाप महापंचायत के लिए पूरी ताकत झोंक देगी। किसान अगर नहीं जागे तो पीढ़ियां बर्बाद हो जाएंगी। इसलिए किसानों को एकजुट होना पड़ेगा।
किसान पंचायतों में गठवाला खाप की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रही है। करमूखेड़ी आंदोलन से लेकर दिल्ली के बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में भी खाप के लोगों ने बलिदान दिए हैं।

खुद नहीं जाऊंगा, खाप के लोग स्वतंत्र : राजेंद्र मलिक
गठवाला खाप के चौधरी राजेंद्र मलिक ने कहा कि वह खुद महापंचायत में शामिल नहीं होंगे। यह उनका निजी फैसला है, लेकिन खाप के लोग स्वतंत्र हैं और महापंचायत में शामिल हो सकते हैं। उनकी तरफ से किसी को भी मनाही नहीं है। किसान मुद्दों पर खाप हमेशा संघर्ष करती रही है और आगे भी जारी रहेगा।

फसल और नस्ल बचाने का आंदोलन
युवा भाकियू नेता गौरव टिकैत ने कहा कि लड़ाई फसल और नस्ल बचाने की है। नौ महीने से किसान बॉर्डर पर पड़े हैं, लेकिन सरकार ने सुध नहीं ली। पूंजीपतियों के हाथ की कठपुतली बन चुकी सरकार को किसानों की चिंता नहीं है।

किसान बिरादरी के स्वाभिमान का सवाल : चौधरी सुरेंद्र सिंह
बड़ौत देशखाप के चौधरी सुरेंद्र सिंह ने कहा कि किसान बिरादरी के स्वाभिमान का सवाल है। किसानों को एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा। किसान मोर्चा का फैसला मान्य होगा। वहीं, देशवाल खाप के चौधरी शरणवीर सिंह ने कहा कि आंदोलन किसान के सम्मान की लड़ाई बन गया है। किसान हितों के लिए सबको एकजुट होकर संघर्ष करना होगा। किसान ही अगर परेशान होगा तो कोई कौम खुश नहीं रह सकती। कालखंडे खाप के चौधरी संजय सिंह ने कहा कि किसान बेहद लाचार है। खेती करना महंगा हो गया है। डीजल के दाम बढ़ गए हैं। किसान की आय बढ़ानी है तो फसलों का रेट बढ़ाना होगा।