चरथावल (मुजफ्फरनगर)। जिले में ईस्टर्न डेडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण कार्य समय से पूरा होता नहीं दिख रहा है। मुआवजे की मांग को लेकर किसानों की ओर से किए गए धरने प्रदर्शन की वजह से लकड़संधा में चरथावल मार्ग पर बनाए गए फ्लाईओवर तक मालगाड़ी के नए ट्रैक पर पटरी बिछाने के बाद मशीन का पहिया थम गया है। चरथावल क्षेत्र में 11 किमी पटरी बिछनी बाकी रह गई है। इसकी वजह से जनवरी में होने वाला मालगाड़ी का ट्रायल अब मार्च तक टल गया है।
चरथावल-मुजफ्फरनगर मुख्य मार्ग और रोहाना मार्ग पर रेलवे क्रॉसिंग के लिए ओवरब्रिज बनाए गए है। लकड़संधा के पास मालगाड़ी की लाइन पर डबल पुल तैयार किए है। पिछले दो महीनों में किसानों ने दो बार धरना प्रदर्शन किया, जिस वजह से ट्रैक पर मिट्टी का काम पूरा करने में मुश्किल आई। इसी देरी की वजह से अब कोलकाता से लुधियाना जाने वाली पटरियों पर मालगाड़ी दौड़ाने का ट्रायल मार्च तक खिसक गया है। दरअसल, लकड़संधा के फ्लाईओवर पर पटरी बिछाने के बाद आगे मिट्टी का ट्रैक अधूरा होने की वजह से मशीन का पहिया रुक गया।
ग्रामीणों की मांग पर विभिन्न गांवों में पांच नए पुल (अंडरपास) तैयार किए गए है। मुजफ्फरनगर सीमा में कछौली, जट नंगला में दो और सहारनपुर में रणखंडी के पास देवबंद में दो अंडरपास बनकर तैयार है। आवागमन की सुविधा के लिए यहां अंडरपास की मांग की जा रही थी।
खुर्जा से शहनेवाल तक सिंगल ट्रैक बनने से मालगाड़ियों के ठहराव के लिए चार स्टेशन जिले की सीमा में बन रहे है। पीनना-लकड़संधा गांव के बीच न्यू मुजफ्फरनगर रखा गया है। परियोजना में प्रत्येक दस किमी पर स्टेशन बना है। सकौती-खतौली के बीच न्यू खतौली, नरा के पास न्यू जड़ौदा और कछौली-जट नंगला के मध्य न्यू रोहाना स्टेशन का अधिकांश काम पूरा हो गया है।
जिले की सीमा में प्रस्तावित 42 किमी रेल पटरी में 31 किमी कार्य पूरा कर लिया गया है। स्टेशनों का काम 80 फीसदी पूरा हो चुका है। जट नंगला में पिछले दिनों मुआवजे की मांग को लेकर किसानों के धरना प्रदर्शन की वजह से काम बाधित रहा। विरोध के कारण जट नंगला में 750 मीटर के टुकड़े पर काम रोकना पड़ा। बधाई खुर्द और आखलौर के पास कार्य मिट्टी का कार्य चल रहा है। करीब 15 दिन काम पूरा करने में लगेंगे। जनवरी में होने वाला मालगाड़ी दौड़ाने का ट्रायल अब मार्च के पहले हफ्ते में होने की उम्मीद है।
डीएफसी के अधिकारी किसानों के पुनर्वास संबंधी मुआवजे की राशि दिलाने के लिए पत्रावली तैयार कराई जा रही है। यदि इस बार भी रेलवे और प्रशासन वादाखिलाफी करता है तो किसान फिर से धरना प्रदर्शन करने से पीछे नहीं हटेंगे। एक महीना की सीमा पूरी होने वाली है।